31 अगस्त तक अस्पताल, नर्सिंग होम और जांच घर का नहीं हुआ रजिस्ट्रेशन तो होगी ये कार्रवाई

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राजधानी में बिना रजिस्ट्रेशन व नियमों को ताक पर रखकर स्वास्थ्य संस्थानों का संचालन करने वालों के खिलाफ सख्ती बरतने की तैयारी शुरू हो गई है. रांची जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग बिना रजिस्ट्रेशन के निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, जांच घर आदि का संचालन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे. इसको लेकर रांची के सिविल सर्जन ने सभी संबंधित संस्थानों से कहा है कि क्लिनिकल स्टेब्लिशमेंट रजिस्ट्रेशन एंड रेग्युलेशन एक्ट -2010 (Clinical Establishment Registration & Regulation Act 2010) के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है. इसलिए www.clinicalestablishments.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन डिमांड ड्रॉफ्ट के साथ दें. सिविल सर्जन ने सभी संबंधित संस्थानों से कहा है कि वे 31 अगस्त 2022 के पूर्व निबंधन कराना सुनिश्चित करें. सभी संस्थानों को Online एप्लीकेशन अपलोड करना होगा. ऐसा नहीं करने पर क्लिनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत नियमानुसार कार्रवाई होगी. वहीं, जिन्होंने रेन्युअल के लिए निर्धारित समय में आवेदन जमा नहीं किया तो एक्ट के तहत 100 रुपए प्रतिदिन के अनुसार जुर्माना भी देना होगा.



सेवा शुल्क विवरण प्रदर्शित करना अनिवार्य

क्लिनिकल स्टेब्लिशमेंट रजिस्ट्रेशन एंड रेग्युलेशन एक्ट -2010 में अस्पतालों व जांच घर की विभिन्न सेवाओं में पारदर्शिता को लेकर कई प्रावधान और मापदंड तय किए गए हैं. इस एक्ट के तहत सभी अस्पताल/ क्लिनिक/नर्सिग होम/ आयुष/ पैथोलॉजी जांच घर/ एक्स-रे संस्थान आदि में पूछताछ केंद्र के समीप चिकित्सक का नाम, उनकी योग्यता, मेडिकल काउंसिल रजिस्ट्रेशन को प्रदर्शित करना है. इतना ही नहीं संस्थान द्वारा दी जा रही सेवाओं के लिए निर्धारित शुल्क का विवरण हिंदी और अंग्रेजी में प्रदर्षित करना अनिवार्य है. सिविल सर्जन ने कहा कि जांच के दौरान ऐसा नहीं करने वाले संस्थानों के खिलाफ सबूत मिलते हैं तो उन पर कार्रवाई तय है.

5 लाख रुपए तक का हो सकता है जुर्माना

एक्ट के तहत बिना रजिस्ट्रेशन के एलोपैथी, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी, नेचुरोपैथी व योगा चिकित्सा पद्धति से संबंधित अस्पताल, मैटरनिटी होम, नर्सिंग होम, डिस्पेंसरी, क्लिनिक एवं लेबोरेट्री (जांच केंद्र) आदि का संचालन नहीं हो सकता है. बिना रजिस्ट्रेशन के चिकित्सीय सेवा उपलब्ध कराने पर एक्ट की धारा-41 (1) के तहत जुर्माना वसूला जाएगा. यह जुर्माना 50 हजार रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक निर्धारित है. सिविल सर्जन के अनुसार पहली बार पकड़े जाने पर 50 रुपए तक तक, दूसरी बार में 2 लाख रुपए तक और तीसरी बार पकड़े जाने पर 5 लाख रुपए तक का जुमार्ना का प्रावधान है.

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