लोकतंत्र का पर्व यानी चुनाव लेकिन जहां चुनावी माहौल दिखना चाहिए, वहां सन्नाटा पसरा है

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लोकतंत्र का पर्व यानी चुनाव लेकिन जहां चुनावी माहौल दिखना चाहिए, वहां सन्नाटा पसरा है। नेता जी शहर छोड़ दूरदराज़ के गांवों में पहुंचते भी नहीं। ऐसी ही तस्वीर है घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के गुड़ाबांधा प्रखंड की जो कभी नक्सल प्रभावित इलाका हुआ करता था, लेकिन अब भी यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जिंदगी गुजार रहे हैं। गुड़ाबांधा का भालकी गांव, जहां आज भी सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूल सुविधाओं का इंतजार है। चुनावी मौसम है, तो राजनीतिक पार्टियां गांव-गांव बैठकें कर जनता को अपनी पार्टी का एजेंडा समझा रहें हैं, ग्रामीण नेता जी की बातें तो सुन रहे हैं, लेकिन दिल में उम्मीद और सवाल दोनों हैं। ग्रामीण महिलाओं हमलोग हेमंत सरकार से काफी खुश हैं, सरकार ने कई योजनाएं दी हैं और हमें उम्मीद है आगे और विकास होगा। वहीं, बहरागोड़ा विधायक समीर मोहंती जिनका सीमावर्ती इलाका गुड़ाबांधा भी आता है, प्रचार के दौरान कहते हैं कि जनता ने इस बार मन बना लिया है।

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