एक सिख का संघर्ष जिसने युवकों को प्रेरित किया, जेपीएससी परीक्षा पास कर भूपिंदर बने पुलिस उपाधीक्षक साकची गुरुद्वारा ने किया भूपिंदर की उपलब्धि और समर्पण का सम्मान

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जमशेदपुर: “कौन कहता है की आसमान में सूराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों” इस कहावत को चरितार्थ करते हुए एक सिक्ख युवक भूपिंदर सिंह ने संघर्षों के बाद वो मुकाम हासिल किया है जिसकी कल्पना हर युवक रखता है लेकिन सफलता भी उन्ही को मिलती है जो हवाओं का रूख मोड़ने का जज्बा रखते हैं।
एक कहानी है 31 वर्षीय सिख युवक सरदार भूपिंदर सिंह की जिसने हर बाधा को पार कर अपने दूसरे प्रयास में झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) परीक्षा में 56वाँ रैंक लाकर पूरे सिख समुदाय का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है। जमशेदपुर में बालीगुमा स्थित साईं काम्प्लेक्स निवासी भूपिंदर सिंह के माता पिता का स्वर्गवास छोटी उम्र में ही हो गया था, इसके बावजूद भूपिंदर सिंह ने हिम्मत नहीं हारी और जीवन के संघर्ष नहीं छोड़ा और लक्ष्य को हासिल करने को चुनौती की तरह लेते हुए लगातार आगे बढ़ते रहे और तब तक नहीं रुके जब तक उन्हें मंजिल नहीं मिल गई। उनकी इस उपलब्धि को सलाम करते हुए गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी, साकची ने प्रधान निशान सिंह के नेतृत्व में और झारखंड सरकार में अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष ज्योति सिंह मथारू की गरिमामयी उपस्थिति में शॉल ओढ़ाकर और पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया। प्रधान निशान सिंह ने बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सरदार भूपिंदर सिंह ने जो मुकाम हासिल किया है वह काबिल-ए-तारीफ है और सभी सिख युवकों को प्रेरित करने वाला है। ज्योति सिंह मथारू ने कहा कि भूपिंदर सिंह ने साबित कर दिया है कि जहाँ चाह होती है वहीं राह होती है। ज्योति सिंह मथारू ने झारखंड सरकार का अल्पसंख्यक आयोग सिक्ख युवकों के लिए विभिन्न प्रकार की योजना को लागू करने के लिए संकल्पित है और जो अल्पसंख्यक समुदाय इन योजनाओं का लाभ लेना चाहता है वे सीधे तौर पर उनसे संपर्क कर सकता है। भूपिन्दर सिंह ने कहा कि, बशर्ते यह उनकी अथक मेहनत, समर्पण और संघर्ष का परिणाम है परंतु इस सफलता में उन्हें उनके परिजनों से जो सहयोग मिला उसको वे शब्दों में बयान नहीं कर सकते। भूपिंदर सिंह ने युवकों को प्रेरित करते हुए कहा कि परिश्रम का कोई विकल्प और शॉर्टकट तरीका नहीं होता है इसलिए अपने लक्ष्य को आज ही निर्धारित कर उसको पाने के संघर्ष में आज से ही जुट जाएं।
31 वर्षीय अविवाहित युवक भूपिंदर सिंह अपनी सफलता का श्रेय अपने मरहूम माता-पिता, भाई-बहन और परममित्र अरविंद और लव को देते हैं।
भूपिन्दर जल्द ही प्रशिक्षण के हजारीबाग जाएँगे जहाँ उन्हें शारीरिक प्रशिक्षण के अलावा कानूनी प्रशिक्षण दिया जाएगा और एक वर्ष बाद झारखंड को अपने सेवाएँ प्रदान करेंगे।
इस मौके पर भूपिंदर सिंह ने पारिवारिक सदस्य भी मौजूद रहे।
सम्मान समारोह में साकची गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के प्रधान सरदार निशान सिंह सहित महामंत्री शमशेर सिंह सोनी, अवतार सिंह फुर्ती, रबीन्द्र सिंह, खजान सिंह, बरयाम सिंह, सतनाम सिंह घुम्मण, जसवीर सिंह गांधी, सतनाम सिंह सिद्धू, अजाइब सिंह, हरजीत सिंह मोनू, सुखदेव सिंह, गुरपाल सिंह, सुरजीत सिंह छीते, जसपाल सिंह जस्से, सतिंदर सिंह रोमी, सतपाल सिंह राजू, रोहितदीप सिंह, दलजीत सिंह, बलबीर सिंह, रविंदर सिंह रिंकू, अमरपाल सिंह, मनोहर सिंह मीते, त्रिलोचन सिंह तोची, बलदेव सिंह बब्बू कई अन्य लोग उपस्थित थे। मंच का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन सरदार सुरजीत सिंह छीते ने किया।

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