रांची : राज्य में दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है. दाखिल-खारिज के लिए रैयत आवेदन देने के बाद भी दौड़ लगा रहे हैं. क्योंकि निचले स्तर से लेकर अंचलाधिकारी के स्तर से आवेदकों को परेशान करने की प्रक्रिया जारी है। कई बार कर्मचारी व सीआई के पॉजिटिव रिपोर्ट के बावजूद सीओ के स्तर से आवेदन को रिजेक्ट कर दिया जा रहा है। आवेदक की परेशानी तब और बढ़ जाती है जब उसे रिजेक्ट होने का स्पष्ट कारण भी नहीं बताया जाता. आवेदकों के द्वारा जमा किए गए आवेदन में कमी रहने पर उसे सूचना देनी चाहिए, मगर ऐसा नहीं हो रहा है। राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के आंकड़े से यह स्पष्ट है कि आवेदन रिजेक्ट करने के मामले में सीओ कुछ ज्यादा ही तेजी दिखा रहे हैं। विभाग के आंकड़े के अनुसार 1110168 आवेदन में 548610 आवेदन रिजेक्ट हुए हैं। ओवरऑल रिजेक्शन के मामले में राज्यभर के आंकड़े में नजर डाली जाए तो सबसे अधिक 28545 आवेदन कांके अंचल में रिजेक्ट हुए हैं. वहीं, दूसरे नंबर पर ही रांची जिला का अंचल है. दूसरे नंबर पर नामकुम अंचल में 27456 आवेदन रिजेक्ट हुए हैं।
बिना चढ़ावा के नहीं होता काम
अंचलों में सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने के बावजूद बिना चढ़ावा के कार्य नहीं होता है। कर्मचारी से लेकर सीओ तक का रेट तय है। जिस आवेदन की ओर से चढ़ावा मिल गया उनका काम हो जाता है। नहीं तो किसी न किसी बहाना से कार्य लटक जाता है या फिर परेशान करने के लिए रिजेक्ट कर दिया जाता है. इसके बाद आवेदन को डीसीएलआर के पास आवेदन करना होता है। यहां सुनवाई लंबी चलने के कारण होने वाली परेशानी को देखते हुए अधिकतर लोग अंचल में किसी प्रकार सेटिंग करके काम करा लेना अक्लमंदी समझते हैं।