सरस्वती शिशु मंदिर उच्च विद्यालय सरायकेला में गुरुपूर्णिमा समारोह का आयोजन, शामिल हुए सेंकड़ों बच्चे

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(जिला ब्यूरो चीफ- सुमन मोदक)
सरायकेला: सरस्वती शिशु मंदिर उच्च विद्यालय सरायकेला के शांतिकुंज में भव्य समारोह के साथ गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय प्रबंधकारिणी समिति के सचिव श्री रमानाथ आचार्य जी, कोषाध्यक्ष श्री प्रसाद महतो जी, प्रधानाचार्य श्री पार्थसारथी आचार्य जी, अभिभावक प्रतिनिधि श्री चिरंजीवी महापात्र जी एवं उप प्रधानाचार्य श्री तुषार कांति जी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किए। सामूहिक वंदना पश्चात सभी आगंतुक अतिथियों एवं आचार्य दीदी जी को तिलक के साथ अंगवस्त्र प्रदान कर उनका सम्मान किया गया। विद्यालय के भैया बहनों ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए और सभी ने आचार्य दीदी जी की प्रशंसा की। इस अवसर पर प्रधानाचार्य श्री पार्थसारथी आचार्य जी ने भैया बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि जब हम सबसे पहले इस धरती पर पदार्पण करते हैं, तो हमारा पहला गुरु माता होती हैं और दूसरा गुरु धरती माता, तीसरे गुरु हमारे पूज्य पिताजी और चौथा गुरु आचार्य दीदी जी के रूप में हमें मिलते हैं। समाज में गुरु का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है। आज का दिन हमारे लिए विशेष महत्व रखता है। आचार्य दीदी जी हमें ज्ञान दान देकर हमारी त्रुटियों को दूर कर हमें नई दिशा और दशा प्रदान करते हैं। जो भैया बहन आचार्य दीदी जी का सम्मान करते हैं, उनका नाम समाज में स्थापित होता है। इतिहास इस बात का साक्षी है। हमें कभी भी अपने जीवन में गुरुजनों का अनादर नहीं करनी चाहिए। विद्यालय प्रबंध कारिणी समिति के सचिव श्रीमान श्री रमानाथ आचार्य जी ने भैया बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि महर्षि व्यास देव जी के जन्मदिन को हम गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। उनका जन्म आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को हुआ था। उनका बचपन का नाम कृष्ण द्वैपायन था। वेदों की रचना कर उन्होंने वेदव्यास के नाम से प्रसिद्ध हुए। गुरु हमें नर से नारायण बनाने की और प्रयासरत रहते हैं। महर्षि व्यास देव जी ने जन कल्याण के लिए अपना संपूर्ण जीवन न्योछावर कर दिया। उन्हीं के पथ पर अग्रसर होते हुए हमें अपने दैनिक जीवन में अपना कार्य संपादित करने चाहिए। हमें चाहिए कि हम अपने गुरु से प्राप्त ज्ञान को समाज के और राष्ट्र के हित के लिए अर्पित करें। इसी से हमारा और राष्ट्र की भलाई संभव है। हमारा लक्ष्य सिर्फ किताबी ज्ञान प्राप्त करना नहीं होता, बल्कि देश सेवा हमारा लक्ष्य होने चाहिए। धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के उप प्रधानाचार्य श्री तुषार कांत पति जी ने किया और अंत में शांति पाठ के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई।

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