, जिसमें झारखंड़ सरकार द्वारा चौकीदार बहाली में अनुसूचित जाति के आरक्षण को खत्म किये जाने एवं 170 वन क्षेत्र पदाधिकारी की नियुक्ति पर अनुसूचित जाति को केवल एक पद दिए जाने को लेकर पूरे झारखंड प्रदेश में इसके विरोध में धरना प्रदर्शन किया गया, इस झारखंड़ प्रदेश अध्यक्ष काशिफ़ रज़ा ने बताया कि झारखंड में 50 लाख से अधिक अनुसूचित जाति की जनसंख्या है पर फिर भी झारखंड सरकार के द्वारा इतनी बड़ी आबादी को नज़र अंदाज़ कर चौकीदार बहाली एवं वन क्षेत्र पदाधिकारी के पद पर उनके आरक्षण को खत्म किया जाना निंदनीय है, इस प्रतीत होता है कि झारखंड की वर्तमान सरकार दलितों के प्रति संवेदनशील नहीं है, झारखंड अलग राज्य बने 24 साल हो गए पर यहां के 50 लाख से अधिक दलित वर्ग की स्थिति जस की तस है, झारखंड के विधानसभा में 09 अनुसूचित जाति के आरक्षित सीटों से जीत कर जाने वाले विधायक भी समाज के मुद्दो पर लड़ना तो दूर बोलते तक नही है, आज़ाद समाज पार्टी अनुसूचित जाति के हर मुद्दों को लेकर सड़क पर संघर्ष कर रही है और आने वाले विधानसभा चुनाव में आज़ाद समाज पार्टी इस लड़ाई को सदन में भी लड़ती हुई दिखेगी, झारखंड के अनुसूचित जाति का आज़ाद समाज पार्टी के प्रति विश्वास बढ़ा है और इसका असर आगामी विधानसभा में देखने को मिलेगा।पार्टी ने पूर्वी सिंहभूम उपायुक्त के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री को ज्ञापन सोपा झारखंड प्रदेश में जिलेवार निकाली जा रही चौकीदार बहाली में अनुसूचित जातियों को शून्य सीट दिया गया है जो कि अनुसूचित जातियों के आरक्षण का हनन है। इस कृत्य से अनुसूचित जातियों में काफी आक्रोश है। चौकीदार बहाली में आरक्षण के अनुरूप अनुसूचित जातियों को भी जगह दी जाए।. दिनांक 22/04/2024 को विज्ञापन संख्या 4/2024 वन क्षेत्र पदाधिकारी नियुक्त में कुल 170 सीटें हैं जिसमें आरक्षण रोस्टर के अनुसार अनुसूचित जातियों के लिए कम से कम 17 सीटें होनी चाहिए परंतु मात्र एक सीट दिया गया है जो कि अनुसूचित जातियों के संवैधानिक अधिकारों का सीधे सीधे लूट है। इस पर पुनर्विचार कर आरक्षण के अनुरूप अनुसूचित जातियों को सीटें दी जाए। झारखंड प्रदेश में अनुसूचित जाति के छात्रों 60:40 के तर्ज पर छात्रवृत्ति दिया जा रहा है जिससे छात्रों को काफी समस्यायों का सामना करना पड़ रहा है। झारखंड सरकार एक साथ 100% छात्रवृत्ति अनुसूचित जाति के छात्रों को उपलब्ध कराए।