स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य मंत्री पर एक गंभीर घोटाला करने का आरोप लगाया है और इस संबंध में माननीय मुख्यमंत्री को एक अभ्यावेदन सौंपा है। अभ्यावेदन में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग में मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार चयनित मानव बल आपूर्ति करने वाले आउटसोर्सिंग एजेंसियों का इम्पैनल्ड रद्द करने का आदेश दिया है और एक माह के भीतर नये सिरे से आउटसोर्सिंग एजेंसी का चयन करने के लिए अस्पतालों के अधीक्षक और जिला के सिविल सर्जनों को निर्देश दिया है। आउटसोर्सिंग एजेंसी का चयन ‘‘झारखण्ड मेडिकल एंड हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड प्रोक्योरमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (JMHIDPCL) द्वारा प्रकाशित निविदा के आधार पर हुआ थ। स्वास्थ्य मंत्री के प्रभाव में विभाग ने एक साल तक इसके साथ एकरारनामा नहीं किया और पूर्व स ेचल रही व्यवस्था को लागू रहने दिया। अब इनका इम्पैनल्ड रद्द कर ये चाहते हैं कि पूर्व की भांति ही आउट सोर्सिंग एजेंसी द्वारा मानव बल उपलब्ध कराने का काम चलता रहे। आश्चर्य है कि मंत्रिपरिषद द्वारा पारित संकल्प के आधार पर JMHIDPCL द्वारा प्रकाशित निविदा द्वारा चयनित आउटसोर्सिंग कम्पनी का पैनल मंत्री ने स्वयं रद्द कर दिया और मंत्रिपरिषद को सूचित किये बिना अपने स्तर पर ही उन्होंने विज्ञापन निकालकर एजेंसी नियुक्त करने का निर्देश सिविल सर्जन और अस्पताल के अधीक्षकों को दिया। स्वास्थ्य मंत्री जानते हैं कि एक माह के भीतर निविदा निष्पादन संभव नहीं है, क्यांेकि एक माह के भीतर चुनाव की घोषणा हो जाएगी और आदर्श आचार संहिता लग जाएगी। प्रकांतर से पूर्व स ेचल रही इस व्यवस्था को ही कायम रखने की साजिश स्वास्थ्य मंत्री कर रहे हैं। वस्तुतः यह बहुत बड़ा घोटाला है, जिसकी जाँच मुख्यमंत्री कराये और अनियमिता होने से रोके। इस बारे में माननीय मुख्यमंत्री को समर्पित अभ्यावेदन की प्रति संलग्न है