शहर के लब्धप्रतिष्ठ पत्रकार रतन जोशी के निधन से मर्माहत हूँI सरल, विनम्र और मृदुभाषी जोशी जी ने पत्रकारिता के उच्च आदर्श को आजीवन बनाए रखा तथा दबे कुचले लोगों की आवाज़ बने रहे

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शहर के लब्धप्रतिष्ठ पत्रकार रतन जोशी के निधन से मर्माहत हूँI सरल, विनम्र और मृदुभाषी जोशी जी ने पत्रकारिता के उच्च आदर्श को आजीवन बनाए रखा तथा दबे कुचले लोगों की आवाज़ बने रहे I
उनसे मेरी पहली मुलाकात लगभग तीन दशक पहले हुई थी I तभी मैं टाटा कम्पनी के विद्यालय में बतौर शिक्षक कार्यरत था और शुरुआती दौर होने की वजह से संघर्ष रत था I रतन जी से मुलाकात के बाद ऐसा प्रतीत हुआ, किसी अभिभावक का सानिध्य मिला हो और आजीवन विभिन्न विषयों पर उनसे चर्चा होती रही तथा उनका मार्गदर्शन मिलता रहा I
उनकी एक बात मेरे लिए प्रेरणा श्रोत थी है और रहेगी I उन्होने कहा था, ” धारा के विपरीत चलने में बाधाएँ बहुत आएॅंगी, संघर्ष भी बहुत होगा पर पहचान अमिट बनेगी और जीत अंततः अवश्य मिलेगी I “
आज सशरीर वे हमारे बीच नहीं हैं पर सूक्ष्म रुप में हमेशा प्रेरणा श्रोत बने रहेंगेI

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