रिपोर्टर जितेन सार बुंडू
लोकेशन बुंडू
सन् 1805 में स्थापित बुंडू के ऐतिहासिक राधा-रानी मंदिर में आयोजित नौ दिवसीय अखंड हरिनाम संकीर्तण में इन दिनों भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। इस मंदिर में प्रतिवर्ष अक्षय तृतीय के दूसरे दिन से अखंड संकीर्तन आयोजित की जाती है। इस अवसर पर बुंडू में मेले का भी आयोजन किया जाता है। मंदिर के प्रधान पुजारी अनुप मुखर्जी ने बताया कि लगभग 150 वर्षों से इस राधा-रानी मंदिर में चैतन्य महाप्रभु के नाम से कलश स्थापित कर अखंड संकीर्तन आयोजित की जाती है। कामना की जाती है कि बुंडू के सभी 84 मौजा के गांव के नर-नारी, पशु-पक्षी शांति से रहें। इस दौरान पुरे नौ दिनों तक क्षेत्र के लोग मांस-मदिरा का सेवन नहीं करते, मछुवारे मछलियां नहीं मारते, भीखारी भी भीख नहीं मांगते। मछुवारों एवं भीखारियों के जीवन यापन के लिए मंदिर कमेटी सहायता देती है। बताया जाता है कि पौराणिक काल में विष्णु मछुवा नामक आदमी बुंडू-तैमारा के बीच स्थित जंगल में दातुन लाने गया था कि उसने भगवान श्रीकृष्ण को कदम के पेड़ में झूला झूलते साक्षात एक पल के लिए देखा। तभी भगवान कृष्ण पासान मूर्ति में परिवर्तित हो गए। विष्णु मछुआ कृष्ण के इस पासान मूर्ति के घर ले आया। बाद में बुंडू राजा द्वारा मंदिर बनाकर भगवान श्रीकृष्ण की उक्त मूर्ति की स्थापना की गई। लोगों का कहना है कि चैतन्य महाप्रभु भी इस मंदिर में कई दिनों तक रुके थे।और इस नो दिन में पाँचपरगना छेत्र के कोने कोने से लोग मेला देखने और कीर्तन सुनकर आनन्द उठाते हैं.