उन्होंने उपायुक्त, वरीय पुलिस अधीक्षक एवं अनुमंडल पदाधिकारी से आग्रह किया है कि दुर्गा पूजा के इस पवित्र अवसर पर केंद्रीय शांति समिति के नाम से लगे सारे होर्डिंग शहर से हटाया जाए।
उनके अनुसार कुछ लोगों का कॉकस है। जिनकी कार्यशैली के कारण जिला प्रशासन के पदाधिकारी बदनाम हो रहे हैं। कॉकस शहर के प्रभावशाली एवं उद्यमी लोगों के सामने खुद को इस तरह से प्रस्तुत करता है जैसे प्रशासनिक पदाधिकारी उसके सहायक के तौर पर काम करते हैं। यही कॉकस छठ पूजा हो या रामनवमी पूजा हो, अथवा किसी तरह का सांस्कृतिक या धार्मिक समारोह मे खुद की मार्केटिंग प्रशासन एवं शहर में करता है।
ऐसे ही लोग फिर शहर में अपनी फोटो के साथ होर्डिंग लगाते हैं।
अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू के अनुसार इस लोकतांत्रिक देश में संविधान का राज है और संविधान में हर संस्था में चुनाव की व्यवस्था है। इसके साथ ही समाज के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देना और दिखना चाहिए। इसके साथ ही अधिवक्ता ने सवाल उठाया कि केंद्रीय शांति समिति के पदधारियों का चुनाव कब और कहां हुआ है।
उनके अनुसार जिला के थाना के सभी शांति समितियां में लगभग 500 से ज्यादा सदस्य हैं और चुनाव के द्वारा केंद्रीय शांति समिति के पदधारियों का चयन किया जाना चाहिए। लोकतांत्रिक देश के संविधान का पालन हर हाल में हर स्तर पर किया जाना जरूरी है।