जहां बड़ी संख्या में महिलाओं में नदी में डुबकी लगाकर पूजा अर्चना की । यह त्यौहार महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला रहकर करती है और उनके द्वारा नदी घाट पर खीरा चना गुड़ अन्य सामान चढ़कर भगवान की आराधना करती है। तीन दिनों तक चलने वाला यह त्यौहार छठ की तरह ही होता है जहां महिला निर्जला उपवास रखकर दूसरे दिन फल खाकर व्रत को तोड़ती है समाज की ओर से पहली बार इस तरीके से नदी घाट में कैंप लगाया गया है।