
सरायकेला रिपोर्ट
सरायकेला खरसावां के चांडिल बहुउद्देशीय परियोजना से बने चांडिल डैम का जलस्तर बढ़ने लगा है। जलस्तर बढ़ता देख बहुउद्देशीय परियोजना डेम डिविजन 2 के प्रशासन ने डैम का दो रेडियल गेट 30 सेंटी मीटर और 20सेंटी मीटर करके खोल दिया है ।जिसे कोल्हान के पूर्वी सिंहभूम जिले के साथ पश्चिम बंगाल को खतरा ,हो रहे बारिश से रेडियल गेट की पानी और कोई मीटर खोल देने से होगे जलमंग । गुरुवार सुबह चांडिल डैम का रेडियल गेट संख्या छह को 20 सेंटीमीटर खोला गाया । वर्तमान में चांडिल डैम का जलस्तर 181.20 मीटर दर्ज किया गया है। बरसात के मौसम में अचानक जलस्तर बढ़ न जाए इसके लिए चांडिल डैम का जलस्तर कम किया जा रहा है. इसके पूर्व रविवार को डैम का जलस्तर 180.65 मीटर दर्ज किए जाने के बाद गेट संख्या 11 को 30 सेंटीमीटर तक खोल दिया गया था।
फिलहाल चांडिल डैम का दो रेडियाल गेट खुला है। परियोजना के प्रशासन की ओर से बताया गया कि सुरक्षा के लिए ऐहतियात के तौर पर एक रेडियल गेट को खोला गया है। ताकि बारिश के बीच अचानक जलस्तर बढ़ने पर डूब क्षेत्र के किसी भी गांव में पानी ना प्रवेश कर न सेके।
प्रत्येक वर्ष डूब क्षेत्र के गावं होते हैं जलमग्न
बारिश के मौसम में चांडिल डैम का जलस्तर बढ़ने के बाद प्रतिवर्ष डुब क्षेत्र के विस्थापित गांव जलमग्न हो जाते हैं । इससे विस्थापितों को काफी नुकसान होता है और इस दौरान उन्हें विकट स्थिति का सामना भी करना पड़ता है। बारिश होते ही विस्थापितों की दिल की धड़कन बढ़ जाती है । तेज बारिश होने पर डैम का जलस्तर तेजी से बढ़ता है, जिसके कारण डैम के किनारे पर बसे डूब क्षेत्र के गांवों में डैम का पानी घुस जाता है। विस्थापित बताते हैं कि विस्थापन के बाद परियोजना प्रशासन की ओर से उन्हें संपूर्ण मुआवजा और पुनर्वास की सुविधा नहीं मिला है। जिसके कारण सैकड़ों की संख्या में विस्थापित परिवार अब भी अपने पुराने गांव में ही रहते हैं। वहीं, अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच ने इसे आंदोलन का परिणाम बताया है। मंच के अध्यक्ष राकेश महतो ने कहा कि दस सूत्री मांगों के समर्थन में मंच के बैनर तले विस्थापित 16 जून से अनिश्चितकाली धरना दे रहे है।