संताली भाषा को प्रथम राजभाषा का दर्जा देने के लिए पिछले 4 जुलाई को ओलचिकी हूल बैसी के बैनर तले संपूर्ण झारखंड बंद का आह्वान किया गया था इस बंदी के बाद राज्य सरकार ने क्या कदम उठाया है संताली भाषा से संबंधित मांगों को पूरा किया गया कि नहीं राज्य सरकार उस पर गंभीर है कि नहीं संपूर्ण मामलों को लेकर आदिवासी समाज के लोग करंडीह स्थित जाहेर थान में एकत्रित हुए, इस मांग से संबंधित अपने अपने विचार व्यक्त किए साथ ही इस लड़ाई को लंबे समय तक लड़ने यानी जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती है तब तक लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया गया इतना ही नहीं समाज के लोगों ने जाहेर थान में समाज के गणमान्य लोगों के साथ बैठक कर कोल्हन विश्वविद्यालय की नीति पर सवाल खड़ा किया है आदिवासी समाज के अनुसार इनकी मांगे थे कि हर कॉलेज में क्षेत्रीय भाषाओं का अपना एक अलग विभाग हो पर वर्तमान समय में कोल्हान विश्वविद्यालय द्वारा एक केंद्र बनाया जा रहा है जहां क्षेत्रीय भाषाओं से संबंधित विद्यार्थी पढ़ाई कर सकेंगे ऐसे में दूरदराज रहने वाले छात्र छात्राओं के लिए भविष्य में काफी परेशानी होगी जिसे लेकर आदिवासी समाज के लोग काफी चिंतित हैं उन्होंने कोल्हान विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि कोल्हन विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का हर वह प्रयास किया जा रहा है जिसे आदिवासी समाज के लोग कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे और इसका पुरजोर विरोध करेंगे