
इसके लिए जिला प्रशासन की तरफ से मजिस्ट्रेट तैनात किए गए थे। जेसीबी लगाकर बांस बल्ली से बनी झोपड़ीनुमा दुकानें तोड़ दी गईं। पुलिस प्रशासन ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाने से पहले काफी फोर्स लगा दी थी। ताकि दुकानदार किसी भी तरह का विरोध ना कर सकें। दुकानदारों के सपोर्ट में आने की बात कहकर समाज सेवी संजीव आचार्या यहां पहुंचे थे। लेकिन वह भी तमाशबीन बने रहे। अतिक्रमण की कार्रवाई रोकने की उन्होंने कोई कोशिश नहीं की। वह भी अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई का कोई ठोस विरोध करने की बजाय वहां मौजूद मीडिया को बयान देते ही नजर आए। पत्रकारों से बात करते हुए जब उनसे इसका कारण पूछा गया कि आप अतिक्रमण हटाओ अभियान की कार्रवाई का विरोध करने आए थे और आपने इसे रोकने की कोई कोशिश नहीं की तो उन्होंने कहा कि प्रशासन ने काफी फोर्स लगा रखी है। अगर कोई इसका विरोध करेगा तो उस पर धारा 353 के तहत कार्रवाई करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी और जेल भेज दिया जाएगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि विरोध करने की कोई हिम्मत ना जुटा सके। उनका कहना था कि प्रशासन की यह गलत कार्रवाई है। प्रशासन को पहले दुकानदारों को बसाना चाहिए तब इन्हें हटाना चाहिए था। मजिस्ट्रेट ने बताया अतिक्रमण के चलते सड़क पर जाम लगता था। इसलिए इसे हटाया गया है। इसके अलावा, डिवाइडर का सुंदरीकरण भी किया जाएगा।