प्रतिभा किसी का मोहताज नहीं होता वह किसी न किसी रूप में सामने आ ही जाता है वैसे सामान्य लोगों की प्रतिभा तो आए दिन सामने आते रहते हैं, मगर यदि असामान्य लोग सामान्य की तुलना में असाधारण उपलब्धि हासिल करें तो उसकी चर्चा होनी चाहिए

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प्रतिभा किसी का मोहताज नहीं होता वह किसी न किसी रूप में सामने आ ही जाता है. वैसे सामान्य लोगों की प्रतिभा तो आए दिन सामने आते रहते हैं, मगर यदि असामान्य लोग सामान्य की तुलना में असाधारण उपलब्धि हासिल करें तो उसकी चर्चा होनी चाहिए. यहां हम बात कर रहे हैं झारखंड की आर्थिक राजधानी जमशेदपुर की. जो लौहनगरी के रूप में देश और दुनिया में विख्यात है. मगर इसे लोग मिनी मुंबई के रूप में भी जानते हैं. यह शहर केवल लोहा ही नहीं बल्कि इंसान के अंदर छिपी प्रतिभा को तराशकर हीरा भी बनाती है. जिसकी लंबी- चौड़ी फेहरिस्त है. इन दिनों यहां के मंदबुद्धि बच्चों की चर्चा पूरे शहर में हो रही है. जहां के बच्चों के कलाकारी के कायल शहरवासी ही नहीं, बल्कि विदेशी भी हो रहे हैं. इन असाधारण बच्चों ने साबित कर दिखाया है कि वे किसी से कम नहीं हैं. इन्हें संवारने में जीविका संस्था ने अहम भूमिका निभाई है. जिसकी बदौलत आज संस्थान से जुड़े असाधारण बच्चे दुनिया में डंका बजा रहे हैं. संस्थान के बच्चे मेक इन इंडिया थीम पर काम कर रहे हैं. जहां बच्चों द्वारा दीपावली को देखते हुए एक से बढ़कर एक खूबसूरत मिट्टी के दिए और खिलौने बनाए गए हैं. जिसकी खरीदारी करने सुबह से शाम तक शहर वासियों का तांता लगा रहता है. जमशेदपुर के सोनारी स्थित संस्थान में ऐसे कई असाधारण बच्चों को प्रशिक्षण देकर इस योग्य बनाया गया है. इनके कायल शहरवासी हो चुके हैं, अब इन बच्चों द्वारा बनाए गए मिट्टी के दिए और खिलौनों की डिमांड विदेशों में भी होने लगी है. बच्चों की उपलब्धि पर संस्थान के संचालक अवतार सिंह काफी खुश हैं. वैसे उन्हें खुश होने का पूरा अधिकार भी है, क्योंकि उन्होंने और उनकी पूरी टीम ने वैसे बच्चों को तराशा है, जिसे तराशना आसान नहीं होता. बड़े-बड़े डिग्री धारी शिक्षकों के लिए भी नहीं.

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