जमशेदपुर पढ़ाई करने की कोई उम्र सीमा नहीं होती है। यह जीता जागता उदाहरण सोनारी बालीचेला स्कूल में देखने को मिला। जहां क्षेत्र के कई महिला शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्कूल पहुंच रही है।

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सामाजिक संगठन अभय बनर्जी फाउंडेशन के द्वारा क्षेत्र की महिलाओं को पढ़ाने के लिए स्कूल की शुरुआत की गई है। अगर महिला को सशक्त करना है ।तो पहले शिक्षित करना जरूरी है। वही स्कूल में शिक्षिका के रूप में पूनम वर्मा को नियुक्त किया गया है। इधर स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने आई घरेलू महिला का कहना है कि हम पढ़े लिखे नहीं हैं और बच्चे घर में क्या पढ़ रहे हैं। वह हम लोगों को समझ नहीं आता है ।बच्चे को पूछते हैं पढ़ लिया तो बच्चे बोलते हैं हां पढ़ लिए लेकिन क्या पढ़े पता नहीं अगर हम शिक्षित रहेंगे तो बच्चे क्या पढ़ रहे हैं क्या लिख रहे हैं वह कम से कम हम जान सकते हैं। वहीं एक दूसरी महिला का कहना है कि हम लोग कुछ करना चाहते हैं बहुत कुछ सीखना चाहते हैं पढ़ाई के लिए साथ ही साथ हमारे बच्चे इंग्लिश मीडियम में पढ़ रहे हैं लेकिन हम शिक्षित नहीं है तो हम बच्चे की शिक्षा के बारे में क्या जान सकते हैं । ऐसे में हम पढ़ाई कर के कम से कम साइन करने या फिर बिजली का बिल या फिर बैंक में जाकर अपने कार्य कर सकें। वही उनका कहना है कि अगर हम पढ़ लेंगे तो यह समाज में और इसे आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।

वही इस स्कूल की शिक्षिका का कहना है मुझे तो इन लोगों की उत्सुकता पढ़ाई के प्रति देखकर मेरी उत्सुकता खुद इतनी बढ़ गई है। मैं स्वयं आकर स्कूल में मुफ्त में शिक्षा देने की बात कही वही शिक्षिका ने कहा शिक्षा का कोई अंत तो है नहीं।

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