खूंटी व्यवहार न्यायालय के जिला अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम संजय कुमार के कोर्ट ने निलंबित एसडीएम सैय्यद रियाज अहमद को जमानत दे दी है

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बता दें कि 4 जुलाई को खूंटी थाना में एक आईआईटियन छात्रा के साथ छेड़खानी से संबंधित प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी और खूंटी पुलिस ने तत्काल बगैर समय गंवाए एसडीएम को त्वरित कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

मामले मे पक्षकार वकील रमेश जायसवाल ने बताया कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के अनुसार पुलिस के पास यह अधिकार हो जाता है, कि वह किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन बिना वारंट के गिरफ्तार करने के लिए उस व्यक्ति का जुर्म बहुत ही संगीन होना चाहिए, किसी मामूली से या छोटे मामले में पुलिस किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुलिस अधिकारी अगर CRPC की धारा 41 का उल्लंघन करते हुए किसी को गिरफ्तार कर ले तो संबंधित अदालतें उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।

वकील ने बताया कि उनकी बेल का मुख्य आधार था उनकी गिरफ्तारी में CRPC 41 की गंभीर अवहेलना। शुरू में 4 जुलाई को जमानतीय धारा में प्राथमिकी दर्ज की गई थी और जिस दिन जमानतीय धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई थी उसी रात में 1बजकर 27 मिनट में 41A का नोटिस दिया गया और फिर उसी रात में जमानतीय अपराध में 3 बजकर 10 मिनट में एसडीओ को गिरफ्तार किया गया उनका कोई स्पष्ट कारण नहीं दिखाया गया कि किस आधार पर गिरफ्तार कर रहे हैं जबकि सीआरपीसी 41 की कुछ नियम और शर्ते हैं जिसकी गंभीर अवहेलना हुई थी उनको अगर आप दिखाइएगा उससे संतुष्ट हो जाएगा तब आप किसी को गिरफ्तार कर सकते हैं। अगर उन नियम और शर्तों को अगर कोई पुलिस अफसर पूर्ण नहीं करता है तो उसकी गंभीर अवहेलना मानी जाती है। और जब सीआरपीसी 41A में जब नोटिस दे दिया गया और नोटिस का अनुपालन (Compliance) कर रहे हैं तब उस दरम्यान उनकी गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए थी और जमानतीय धारा के तहत प्रावधान है कि अगर किसी की गिरफ्तारी की गई तो उसे तत्काल उसी स्थान पर जमानत पर छोड़ देना है, वह बंधपत्र दे या ना दे बगैर बंधपत्र के भी उनको छोड़ा जा सकता है फिर भी जमानतीय धारा के तहत उनको गिरफ्तार करके 5 जुलाई से 16 जुलाई तक उपकारा में रखा गया। इस मसले में सीआरपीसी 41 की गंभीर अवहेलना की गई थी वही मुख्य आधार जमानत का बना। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के कई जजमेंट हैं जिसमें कहा गया है कि सीआरपीसी 41 की पुलिस पदाधिकारियों द्वारा यदि गंभीर अवहेलना की जाती है तो उसे आधार बनाकर जमानत दी जा सकती है और प्राथमिकी में तो बाद में गैर जमानतीय धारा 354 जोड़ा गया।

जमानत का दूसरा आधार था कि यह सरकारी सेवक रहते हुए 5 तारीख से ही पुलिस कस्टडी में आज तक हैं। ऐसी कोई बात नहीं कि एसडीओ चले जाएंगे। न्यायालय जब जब सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित कर बुलाएगी तो निश्चित ही सरकारी सेवक होने के नाते अवश्य आएंगे। उनके 5 जुलाई से 16 जुलाई तक कस्टडी में रहना और CRPC 41 पुलिस ऑफिसर वायलेशन को देखते हुए उनका दस्तावेज ही जमानत का आधार बन गया।

शुरू में सीजेएम साहब के यहां से जमानत रिजेक्ट हुआ था लोक अभियोजक साहब ने भी विरोध किया था। लेकिन CRPC 41 की पुलिस पदाधिकारियों द्वारा की गई अवहेलना जमानत की राह को आसान बना दिया। बाद में केस डायरी की भी मांग की गई थी और मामले में सिंगल टेस्टिमोनी का केस था। मामला दर्ज कराने में 2 दिन का विलम्ब था और छात्रा पढ़ी लिखी थी और मामले में किसी तरह का कोई दंडनीय अपराध और असोल्ट अथवा हमला, प्रहार नहीं था इसलिए खूंटी पुलिस की अचानक त्वरित गिरफ्तारी की कार्यशैली पर सवाल खड़े हुए और यही जमानत का द्वार खोल दिया।

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