रिपोर्टर जितेन सार बुंडू
लोकेशन बुंडू
बुंडू के रानीचुआं एवं कराम्बु गांव में भोक्ता पर्व पर गुरुवार सुबह शिव उपासकों ने लाल दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलकर भगवान शिव की अराधना की। शिव उपासकों द्वारा दहकते अंगारों पर वगैर किसी कष्ट के चलने की क्रिया को देख लोग अंचभित थे। दहकते अंगारों पर चलने के साथ ही गत पांच दिनों से चल रहा भोक्ता पर्व का समापन हो गया। स्थानीय लोग दहकते अंगारों में चलने की क्रिया को फुलखुंदी एवं शिव उपासकों को भोक्ता कहते हैं। दहकते अंगारों पर चलने के बावजुद पांव क्यों नहीं जलते के सवाल पर फुलखुंदी सम्पन्न कराने वाले ब्राह्मण ललित चन्द्र पांडे ने बताया कि सब शिव-पार्वती की कृपा से संभव हो पाता है। फुलखुंदी से पूर्व अग्नी देव की पुजा करने के बाद फुलखुंदी मंत्रोचारण के साथ आरंभ की जाती है। भोक्ता स्नान के बाद भींगें कपड़े पहने ही दहकते अंगारे पर चलते हैं। उन्होंने बताया भोक्ता पर्व पर फुलखुंदी एवं झूलन का कार्यक्रम हजारों वर्षों से पंचपरगना के विभिन्न गांवों में संपन्न होता आया है। उन्होंने दावा किया कि आजतक कभी किसी भोक्ता के पांव नहीं जले और न ही किसी को कोई कष्ट हुआ। उन्होंने बताया भोक्ता अथवा चैत पर्व प्रति वर्ष 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। इसमें भोक्ता पांच दिनों से अनाज ग्रहण नहीं करते। फुलखंदी के बाद शिव मंदिर में भगवान शिव की पुजा के पश्चात भोक्ता उपवास तोड़ते हैं। इस अवसर पर कराम्बु गांव में बुधवार–गुरुवार की रात मेला भी आयोजित हुई। मेले में ग्रामीणों ने रातभर छऊ नृत्य का भी आनंद लिया।