स्थानीय नीति के बिना नियुक्ति नियमावली का कोई मतलब नहीं, जल्द घोषित हो नयी नीति

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रांची : नयी स्थानीय नीति के बिना नियुक्ति नियमावली का कोई मतलब नहीं है। स्थानीयता की परिभाषा का आधार सिर्फ मैट्रिक, इंटर परीक्षा पास नहीं हो सकता है। पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के द्वारा जो नियोजन नीति बनायी गयी थी वह कहीं से झारखंडियों के हितकारी नहीं है। यही कारण है कि जनता से उस सरकार को उखाड़ फेंका। इसलिए वर्तमान सरकार तुरंत नयी स्थानीय एवं नियोजन नीति बनाए, इसके बाद ही किसी भी प्रकार की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करे. यह बातें बुधवार को विभिन्न आदिवासी-मूलवासी संगठनों की संयुक्त मोर्चा की विस्तारित बैठक के दौरान शिक्षाविद् डा. करमा उरांव ने कही। में कही गयी। बैठक में कई तरह के निर्णय लिए गए। बैठक में अंतु तिर्की,आजम अहमद,प्रेमशाही मुंडा, एस अली, शिवा कच्छप, संजय तिर्की, सुनील सिंह, एल एम उरांव, नौशाद खान,विभय नाथ शाहदेव, बलकू उरांव,देव सहाय मुंडा,कृष्णा मुंडा,अनिल पूर्ति,जीवन भूट कुंवर,हरीश मुंडा,शिवप्रसाद साहू, अजीत टाना भगत,सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

*बैठक में लिया गया यह निर्णय*

20दिसंबर 2021 को राजभवन के समक्ष संपन्न महा धरना के कार्यक्रम को सफल घोषित किया गया।

स्थानीय नीति परिभाषित किए बगैर नियुक्ति नियमावली का कोई मतलब नहीं है चूंकि स्थानीयता का परिभाषा का आधार सिर्फ मैट्रिक / इंटरमीडिएट परीक्षा पास नहीं हो सकता है पूर्व की रघुवर दास की सरकार के द्वारा बाहरियों को यहां के नियोजन में शामिल करने के लिए उक्त प्रावधान किया गया था जिससे न केवल वर्तमान सरकार अपितु राज्य की जनता ने ख़ारिज कर दिया था।

नियुक्ति नियमावली में भोजपुरी, मैथिली एवं अंगिका जो राज्य की मूल भाषा परिवार की नहीं है उन्हें सरकार विलोपित करे।

राज्य सरकार प्राथमिक ,माध्यमिक ,मैट्रिक , इंटरमीडिएट सहित विश्वविद्यालयों में जनजाति एवं क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई की समुचित व्यवस्था करे।

रांची विश्वविद्यालय सहित राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय पदों पर हजारों की संख्या में अनुबंध पर नियुक्तियां की गई है । ये सभी नियुक्तियां विधि सम्मत नहीं है और आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया है इस संबंध में राज्य के राज्यपाल को ज्ञापन देने तथा प्रतिनिधिमंडल मिलने का निर्णय लिया गया।

मॉब लिंचिग कानून 2021, एवं निजी क्षेत्रों प्रतिष्ठानों में स्थानियो के लिए 75% आरक्षण का स्वागत किया गया परंतु स्थानीयता परिभाषित किए बगैर यह कानून सार्थक नहीं होगी।

12 मार्च 2022 को संयुक्त मोर्चा के द्वारा रांची में आहूत महारैली में सरकार की काम काजों का सोशल ऑडिट प्रस्तुत किया जाएगा।

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