
संविधान, मताधिकार और जल-जंगल-जमीन की रक्षा का संकल्प6 दिसंबर वह दिन है जब हम राष्ट्रनिर्माता, सामाजिक न्याय के महान योद्धाडॉ. भीमराव आंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हैं।
बाबा साहेब ने हमें वह संविधान दिया जिसमें शोषित-पीड़ित जातियों, आदिवासियों, दलित-ओबीसी, महिलाओं, मजदूर-किसानों और अल्पसंख्यकों के धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक अधिकार सुरक्षित हैं।
आज वही संविधान और उसके मूल मूल्य सबसे बड़े खतरे में हैं।
संविधान और लोकतंत्र पर बढ़ते हमलेभाजपा शासन वाले क्षेत्रों में खासकरविपक्षी तथा कमजोर वर्गों के वोटरों के नाममतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।
यह मताधिकार पर सीधा हमला है—लोकतंत्र को निष्प्रभावी करने की चाल।
जल-जंगल-जमीन पर कॉरपोरेटों की कब्जेदारी
देश के कई भाजपा शासित राज्यों—में आदिवासी क्षेत्रों पर अभूतपूर्व हमला हो रहा है।
सरकारी मशीनरी के बल पर जल-जंगल-जमीन का कब्ज़ा
आदिवासी गांवों को उजाड़ कर खनन कंपनियों को सौंपना
ग्राम सभाओं, पेसा कानून और वनाधिकार कानून की धज्जियाँ उड़ाना
