बाहा पर्व में परिवार संग शामिल हुए पूर्व सीएम चंपाई सोरेन, बोले- संस्कृति के साथ समाज को भी बचाना है

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जमशेदपुर: जिले के परसुडीह के करनडीह स्थित दिशोम जाहेर स्थान में ‘बाहा पर्व’ का आयोजन किया गया था. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक चंपाई सोरेन अपने परिवार के साथ पारंपरिक वेशभूषा में इस कार्यक्रम में शामिल हुए. यहां पूजा- अर्चना करने के बाद चंपाई सोरेन सखुआ के फूल को कान में लगाया और बाहा पर्व का आनंद लिया.साथ ही हजारों की संख्या में आदिवासी समाज की महिलाएं और पुरुषों ने बाहा पर्व में हिस्सा लिए. बाहा में पारंपरिक वेशभूषा में ढोल नगाड़ा की धुन पर नृत्य करते हुए महिला और पुरुषों ने नायक बाबा को सम्मानपूर्वक उनके घर पहुंचाया. बता दें कि बाहा में सखुआ के फूल का महत्व होता है. सखुआ के पेड़ की पूजा करते हैं. सखुआ के फूल को महिलाएं अपने सिर पर लगाकर उत्सव मनाती है इस मौके पर विधायक चंपाई सोरेन ने बाहा पर्व में सखुआ के फूल के महत्व को बताया है. उन्होंने कहा कि जैसे सखुआ का फूल सूख जाने के बाद भी उसका रंग बदलता नहीं है, वैसे ही हमारे समाज में भी अपनी संस्कृति और परंपरा बरकरार रहे और आपसी भाई चारा बनी रहे. सखुआ के पेड़ की पूजा की जाती है. प्रकृति की पूजा करने वाले समाज का यह मानना है कि प्रकृति सुरक्षित रहेगी तभी मानव जीवन भी सुरक्षित रहेगा. आज की युवा पीढ़ी शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपने शहर से बाहर जाते हैं, लेकिन अपने त्योहारों में जरूर भाग लेते हैं. इससे उन्हें अपनी परंपरा और संस्कृति को समझने और उसे आगे बढ़ाने में मदद मिलती है. हमें अपनी संस्कृति के साथ समाज को भी बचाना है.

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