साथ ही चुनाव आयोग के अधिकारीयों को भी इसके लिए दोषी ठहराया है, एक संवाददाता सम्मलेन मे उन्होंने कहा की उनके नामांकन पत्र मे कुछ त्रुटि थी जिस कारण उनका नामांकन रद्द किया गया है, जिसे वें स्वीकार करते हैँ, लेकिन ज़ब चुनाव आयोग लाखों रूपए खर्च कर कई तरह की ट्रेनिंग सरकारी कर्मियों को देते हैँ तो क्या नामांकन फॉर्म भरने हेतु एक दिन की ट्रेनिंग की वयवस्था नहीं कर सकती है, साथ ही कहा की हर प्रत्याशी अपने पैसे खर्च कर जनसेवा की भाव से चुनाव मे जाता है तो क्या चुनाव आयोग के अधिकरी किसी त्रुटि की जानकारी प्रत्याशी को नहीं दे सकते, उन्होंने कहा की उनके नामांकन को एक साजिस के तहत रद्द किया गया है, और इसके पक्ष और विपक्ष दोनों की मिली भगत है.