एमजीएम अस्पताल मे केवल इमरजेंसी सेवा को छोड़कर बाकि तमाम स्वास्थ्य सेवाओं को ठप्प कर धरना जारी रखा गया, इन्होने कहा की यह पहली घटना नहीं है जब एक महिला डाक्टर शिकर बनी है, लेकिन पूर्व से लेकर अभी तक सभी केवल आश्वाशन ही मिलते आया है, और लगातार इस तरह की घटना बढ़ते जा रही है, उन्होंने कहा की मरीज के साथ किसी भी तरह की अनहोनी होने पर डाक्टरों को ही दोषी करार दिया जाता है, लेकिन आज तक मेडिकल प्रोटेक्सन एक्ट को लागु नहीं किया गया, इन्होने कहा की जब तक दोषी को फांसी नहीं दी जाती तब एक इनका आंदोलन जारी रहेगा.