भाजपा के गिरिडीह महिला मोर्चा ने गुरुवार को हेमंत सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन कर और थाली बजाकर सरकार पर हथौड़ा मारा। प्रदर्शन का नेतृत्व महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आरती सिंह कर रही थी। जबकि पार्टी के जिला अध्यक्ष महादेव दुबे के साथ जिला महामंत्री संदीप डंगाईच, प्रदेश मंत्री सह गांडेय प्रत्याशी दिलीप वर्मा, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुरेश साहू, चुन्नुकांत्त, सांसद प्रतिनिधि दिनेश यादव, मुकेश जालान, रंजीत बरनवाल, श्याम प्रसाद, उषा कुमारी, जिप अध्यक्ष मुनिया देवी, शालिनी वैशखियार, प्रकाश सेठ, इंजीनियर विनय सिंह, देवनाथ राणा, साहिल शर्मा, श्यबाल घोष, सिकंदर हेंब्रम समेत काफी संख्या में महिला मोर्चा की कार्यकर्ता शामिल हुई। शहर के झंडा मैदान से सभी गिरिडीह डुमरी रोड स्थित पपरवाटांड समाहरणालय भवन पहुंची। जहां प्रदर्शनकारियो की संख्या देखते हुए पहले से एसडीपीओ बिनोद रवानी के नेतृत्व में मुफ्फसिल थाना प्रभारी श्याम किशोर महतो, नगर थाना प्रभारी शैलेश प्रसाद और इंस्पेक्टर ममता कुमारी के साथ महिला थाना प्रभारी दिपसिखा कुमारी पुलिस जवानों के साथ मुस्तैद थी।भाजपा के प्रदर्शनकारियो की भीड़ देखते हुए कुछ प्रदर्शनकारि गेट पर चढ़ने का भी प्रयास किए, उन्हे बंद गेट से नीचे उतारा गया। प्रयास विफल देख सारी महिला प्रदर्शनकारि हेमंत सरकार के खिलाफ थाली पिटना शुरू कर दी। हर महिलाओ के हाथ में हेमंत सरकार के कार्यकाल में बढ़ते महिला अत्याचार के खिलाफ तख्ती था, तो हेमंत सरकार को राज्य का नाकाम मुख्यमंत्री बताते हुए पार्टी का झंडा लिए कड़ी धूप में प्रदर्शन किया। वही मौके पर पत्रकारों के बीच भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आरती सिंह ने कहा की हेमंत सरकार में महिलाओ पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है। हर दूसरे तीसरे दिन एक न एक रेप की घटना और उनकी हत्या की खबर ही पढ़ने को मिलती है। उपर से हाई कोर्ट भी हेमंत सरकार को फटकार लगाती है लेकिन गूंगी हेमंत सरकार को हाई कोर्ट के फटकार का कोई असर नहीं होता। बातचीत के क्रम में आरती सिंह ने कहा की महिला मोर्चा अब हेमंत सरकार को सता से हटाने के लिए बिगुल फूंक चुका है और वो तभी बंद होगा जब हेमंत सरकार को सता से हटा दिया जाएगा। क्योंकि हेमंत सरकार ने महिलाओ को परेशान करने के लिए मुख्यमंत्री मंईया योजना लेकर आई है और हालत ऐसे है की योजना के लिए दिन दिन भर महिलाओ को फार्म भरने और जमा करने के लिए केंद्र में डटे रहना पड़ता है। जब तक की एक हजार का फार्म भर नहीं जाए, ऐसे में इस योजना को मंईया सम्मान योजना के बदले मंईया परेशान योजना नाम देना चाहिए।