नारायण आईटीआई लुपुंगडीह चांडिल में मनाया गया डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती।

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चांडिल।(जगन्नाथ चटर्जी) नारायण आईटीआई लुपुंगडीह चांडिल में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती मनाई गई एवं उनके चित्र पर माल्यार्पण किया गया तथा उनके जीवनी पर प्रकाश डालते हुए डॉ जटाशंकर पांडे ने कहा कि 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ। उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे एवं शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे। डॉ मुखर्जी ने 1917 में मैट्रिक किया तथा 1921 में बीए की उपाधि प्राप्त की। 1923 में लॉ की उपाधि अर्जित करने के पश्चात् वे विदेश चले गये और 1926 में इंग्लैंड से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे। अपने पिता का अनुसरण करते हुए उन्होंने भी अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित कर ली थीं। 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने। इस पद पर नियुक्ति पाने वाले वे सबसे कम आयु के कुलपति थे। एक विचारक तथा प्रखर शिक्षाविद् के रूप में उनकी उपलब्धि तथा ख्याति निरन्तर आगे बढ़ती गयी। इस मौके पर प्रोफेसर स्वदिष्ट कुमार, अधिवक्ता निखिल कुमार, जयदीप पांडे, देव कृष्णा महतो, पवन महतो, कृष्णा पद महतो, अरुण पांडे, गौरव महतो उपस्थित थे।

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