
धरने मे बैठे सदस्यों ने बताया की झारखण्ड सरकार शिक्षा के क्षेत्र मे झारखंडियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है, भाषा आधारित शिक्षक बहाली के प्रक्रिया मे संथाल समेत तमाम क्षेत्रीय भाषाओं को इसमें दरकिनार किया जा रहा है, जहाँ पूर्वी सिंघभूम जिले मे नौ लाख के करीब संथाल और जनजातीय लोग निवास करते हैँ लेकिन इसके लिए केवल 11 पोस्ट का सृजन किया गया है, जो काफ़ी नहीं है, इसे मे स्पस्ट है की जनजातीय समुदाय के साथ सरकार भेद भाव कर रही है, जिसे यूनियन बर्दाश्त नहीं करेग