सरायकेला
होली की तैयारी , लोगो में उत्साह । पलाश की फूलो से बनाया जाते गुलाल व रंगो से मनाए जाते हौली l राष्टीय फूलो से जाना जाता है पलाश का फूल को ।

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सरायकेला खरसावां जिला के ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र में सुदूरबर्ती गांव में परंपरागत से मनाए जायेगा होली तैयारी में जुटे बच्चे । दलमा की तराई में बसे आदिवासी बहुल गांव में आज के दौर में विभिन्न प्रकार के पलाश की फूलो से बनाए गए रंगो से होली खेलते है। प्राचीन कालीन काल से कुदरती रंगो से मनाए जाते है होली । दलमा जंगल की तराई पलाश की खेती होते हैं ।जेसे सफेद फूल , गुलावी, ओर पिला फूलो का पलाश पेड़ देखने को मिलेगा । जहां नजर घुमाई जाए तो दूरदराज तक पलाश के पेड़ो में फूल खिले है।ग्रामीणों क्षेत्र में आज भी पलाश की विभिन्न फूलो से गुलालओर रंग बनाया जाता।है। ओर उसी रंगो से होली खेलते है।जिसे स्वास्थ्य व शरीर में कोई साइडिपेंट नही होता है। साथ ही कविराज बद्धराज द्वारा पलाश की छाल ,फूल,फल से विभिन्न प्रकार के रोगों का ईलाज किया जाता है।आज के दौर में जहां कुदरती रंगो की अपेक्षा आज रसायनिक कैमिकल रंगो से विभिन्न प्रकार की त्वचा संबधित रोंग होता है। पलाश की पौधे से लाही उत्पादन होता है ।जिसे किसान को रोजगार उपलब्ध होता था।
शिव चरण राजवार । काटजोड़ दलमा
आज विभिन्न आयरन प्लांट लगाने से पदुर्षण फैला रहा है ।जिसे आज लाही की उत्पादन ठप हो गया ।झारखंड राज्य के राष्ट्रीय फूल से जाना जाते है पलाश की फूलो को।
झुनी वाला महतो समाज सेवी चांडिल ।कविता रविंद्र नाथ ठाकुर जी लेख पर समाज सेवी झूनी वाला महतो चांडिल द्वारा बर्न किया । फूटे ना पलाश फूल रूप नही समतुल गंध नाही बले तार ना हई जतन ,मूर्ख सेजे भालो बेसे , लोकेर पासे आपातत खोनो काल बटे सभा पाई । किंतु से कथा कई किछु छापा नाही रई, आपातत खोंनो काल बटे सभा पाई ।आज झुनि वाला महतो परिवार के लोगो बच्चे से संयुक्त रूप से पलाश का फूल लेकर मिट्टी की हांडी से कुदरती ढंग से रंग बनाते हुए पान में भिगोया गया ।ओर पांच दिन के बाद पलाश की फूलो को निकालकर शील में पीस कर रंग बनाया जायेगा जिसमे सामन्न मात्रा से चुना मिलाया जाता जिसे रंग गाड़ा होता है।कुछ फूलो को घर के छत पर सुखाया जाता ओर गुलाल बनाया जाता ।आज भी लोगो बड़ी उम्मीद के साथ पलास की फूलो से रंग बनाते है।क्वीराज ओर बद्धराज़ द्वारा विभिन्न प्रकार का ओषोधी बनाते । आज झारखंड राज्य बनने के बाद राष्टीय नाम दिया गया इसे पूर्व पलाश का फूलो का बारे कवि द्वारा आपने कविता में उल्लेख किया गया ।

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