दुमका
विधायक आदिवासी,सांसद आदिवासी,मुख्यमंत्री आदिवासी उसके बाद भी आदिवासियों का काम नही हो पा रहा है,पक्की सड़क नही बनाया जा रहा है
झारखण्ड की उपराजधानी दुमका जिले एक ऐसा प्रखंड जो अत्यंत पिछड़ा है । इसका विधानसभा क्षेत्र लिट्टीपाड़ा है जो पाकुड़ जिला के अंतर्गत आता है और लोकसभा क्षेत्र राजमहल है जो साहेबगंज जिला अंतर्गत आता है । इस तीन जिले के चक्कर मे गोपीकांदर प्रखंड आजादी के इतने दिन बाद भी मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहा है । इसे बिडम्बना कहें या सरकारी लापरवाही ।
दुमका जिले के गोपीकांदर प्रखंड के खरौनी पंचायत के अन्तर्ग्रत आदिवासी गांव दुन्दवा पक्की सड़क के लिए आज भी तरस रहा है इसलिए यह मुख्यधारा से कटा हुआ है.मुख्य पक्की सड़क के किनारे स्थित उत्क्रमित मध्य विधालय(दुन्दवा) से गांव को जोड़ने वाली कच्ची सड़क में बड़ा-बड़ा बोल्डर बिछा हुआ है,कई जगह गड्डे बने हुए है.गांव का कुल्ही भी पूरी तरह पीसीसी ढलाई नही किया गया है,कई जगह बड़े बड़े बोल्डर लगा हुआ है.ग्रामीणों का कहना है कि बड़ा-बड़ा बोल्डर,गड्डा और कुल्ही पूरा पीसीसी नही होने के कारण ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.ग्रामीणों का यह भी कहना है कि बड़ा-बड़ा बोल्डर,गड्डा होने से सायकिल क्या पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है.कभी कभी दुर्घटना भी हो जाती है.वर्षा के दिनों में स्थिति बहुत ही दयनीय हो जाती है.ग्रामीणों का यह भी कहना है कि इसी कच्ची मार्ग से अड़ीचुआ,कायराशोल और भालसुगिया के ग्रामीण भी आना जाना करते है,जो करीब 7 किलोमीटर लम्बा है.ग्रामीणों का कहना है तीन वर्ष पूर्व सिदो कान्हू मुर्मू एकता मंच के बैनर तले उपायुक्त,दुमका को सड़क बनाने के लिये लिखित आवेदन दिया गया था.इसके साथ-साथ ग्राम सभा कर प्रखंड विकास पदाधिकारी को भी लिखित आवेदन दिया गया था.इधर हाल में उपायुक्त जनसंवाद में भी इसके लिए ग्रामीणों ने गुहार लगाये है.इसके साथ-साथ विधायक और सांसद को भी मौखिक गुहार लगाया गया था लेकिन सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नही मिला.प्रशासन और जन प्रतिनिधियों के इस रवैये से ग्रामीण काफी निराश, नाराज और गुस्से में है. ग्रामीणों ने यह भी कहा कि यहाँ के विधायक आदिवासी है,यहाँ के सांसद आदिवासी है,यहाँ के मुख्यमंत्री आदिवासी है उसके बाद भी आदिवासियों का काम नही हो पा रहा है,सड़क नही बना पा रहा है ग्रामीणों ने सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया है कि अगर लोकसभा के चुनाव के पहले जल्द सड़क का पक्कीकरण और पीसीसी ढलाई नहीं किया जाता है तो ग्रामीण बाध्य होकर लोकसभा में वोट नही करेगे.ग्रामीणों ने यह भी निर्णय लिया है कि सड़क को लेकर जल्द ही चार गांवो का बैठक किया जायेगा.इस मौके में बोनेश्वर मुर्मू,सुफल हेंब्रम,आबिनेयल किस्कू,मानेवाल हेंब्रम,दिनेश मुर्मू,नोएल सोरेन,रमेश किस्कू,धनेश्वर बास्की,सीताराम किस्कू,सिगय देहरी,छूटा देवा देहरी,सोएल मुर्मू,सैबा मुर्मू,निरोला मरांडी,रामचंद्र मुर्मू,पार्वती मुर्मू,बरका हेम्ब्रोम,कीनू किस्कू,फूल हांसदा,सलोनी मरांडी,संतोषनी मरांडी,आशा महारानी,महासुरी मरांडी,सुनाबती महारानी आदि उपस्थित थे।
इस प्रखंड की यह एक बानगी भर क्योकि समस्याएँ यहां इतनी है कि जिसका वर्णन करना मुश्किल है ।
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