चंपई सोरेन की पार्ट -2 सरकार की आगामी 23 फरवरी से शुरू होने वाली बजट सत्र अप्रत्याशित रूप से छोटा है। वर्ष 2020 में बजट सत्र में 18 कार्य दिवस, 2021 में 16 कार्य दिवस, 2022 में 17 कार्य दिवस और 2023 में भी 17 कार्य दिवस बजट सत्र में थे, परंतु 2024 के बजट सत्र मात्र 7 दिनों का है। इसमें से एक दिन शोक प्रस्ताव में एक दिन बजट प्रस्तुत करने के रूप में समाप्त हो जाएगा। एक दिन विधायकों के निजी संकल्प पर चर्चा होगी एक दिन वर्तमान वित्तीय वर्ष के त्रृत्तीय अनुपूरक बजट पर चर्चा होगी। इस तरह कुल मिलाकर बजट पर चर्चा के लिए मात्र 3 कार्य दिवस बचेंगे, यानि अधिकांश विभागों की बजट मांगों को गिलोटिन कर दिया जाएगा। यदि सरकार बजट के लिए तैयार नहीं थी तो उसे 3 महीने का लेखा अनुदान विधानसभा से ले लेना चाहिए था और पूरा बजट जून महीना में पास करना चाहिए था।
अल्पाल्प अवधि का बजट सत्र बुलाने का एक बड़ा कारण यही हो सकता है कि अभी तक सरकार ने पुराने बजट की योजनाओं पर मुश्किल से 55-60 प्रतिशत खर्च कर सकी है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने में मात्र एक माह शेष है, शेख राशि खर्च करने के लिए पार्ट-2 सरकार के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं है। इसलिए बजट सत्र छोटा कर दिया गया। आगामी बजट सत्र में मैं अपने उन सभी सवालों का जवाब मांगूंगा जो वर्तमान सरकार के पार्ट-1 सरकार तथा उसके पहले वाले सरकार में उठाया था।
बजट सत्र छोटा करने का एक कारण यह भी हो सकता है कि सरकार मंत्री परिषद के विस्तार के बाद अस्थिर है। बजट सत्र का प्रत्येक दिन बजट की वित्तीय मांगों पर मतदान होता है। वित्तीय मामलों के मतदान मे सरकार जरूरी संख्या नहीं जुटा पाएगी तो मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है। इससे बचने के लिए सरकार ने बजट सत्र छोटा किया होगा। इस सरकार को विगत 4 वर्षों का लेखा-जोखा सदन मे प्रस्तुत करना चाहिए। इसके पूर्व के विधानसभा सत्रों में सरकार के कतिपय विभागों के भ्रष्टाचार के बारे में जो सवाल मैंने उठाया था और जिसके बारे में विधानसभा अध्यक्ष ने जाँच का निर्देश दिया था वे सभी के सभी सवाल अनुत्तरित हैं। मैं उनका जवाब सरकार से मांगूंगा। झारखंड की पंचम विधानसभा का यह अंतिम बजट सत्र है। इसके वित्तीय स्थिति का खुलासा मुख्यमंत्री को करना चाहिए।