आजादी के बाद , मजदूरों और किसानों के पहले संयुक्त कार्यक्रम की 42वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आज पूरे देश के साथ कोल्हान क्षेत्र में भी सीटू और किसान सभा के सदस्यों ने “किसान मजदूर एकता दिवस” मनाया ।

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जमशेदपुर


42 साल पहले 19 जनवरी, 1982 को मजदूर, किसान और खेतिहर मजदूरों वर्ग के मांगों के साथ दयनीय अस्तित्व में जी रहे जनता के सभी तबकों के जीवन और आजीविका सम्बंधित मांगों को लेकर, स्वतंत्र भारत के इतिहास में, पहली बार किसान और मजदूर एक दिन की देशव्यापी आम हड़ताल में शामिल हुए थे।
19 जनवरी 1982 की आम हड़ताल के दौरान, देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर ग्रामीण हड़ताल, सड़क-नाकाबंदी, प्रदर्शनों आदि के माध्यम से देश भर में किसानों और मजदूरों के सक्रिय लामबंदी हुई थी। इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर क्रूर पुलिस दमन और गोलीबारी किसानों और श्रमिकों के 10 मूल्यवान जीवन को छीन लिया था।
आज 42 साल बाद एक बार फिर किसान-मजदूर, आम जनता के जीवन और आजीविका पर गंभीर हमलों के खिलाफ संघर्ष के रास्ते पर हैं। “केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और राष्ट्रीय फेडरेशनों के मंच” और “संयुक्त किसान मोर्चा” ने निर्णय लिया है कि, चल रहे संयुक्त संघर्ष के अगले चरण के तहत जनता के ज्वलंत मुद्दे संबंधित 21 बिंदु मांगों पर, गहन जनसंपर्क करते हुए आगामी 16 फरवरी 2024 को उसी तरह का ग्रामीण , शहरी एवं औद्योगिक क्षेत्र में आंदोलनकारी कार्यक्रम होगा जो वर्तमान केंद्र सरकार को अपनी विनाशकारी नीति को बदलने के लिए अंतिम चेतावनी होगा और इसके साथ ही आगामी आम चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों को वर्तमान नीति निर्माताओं की कॉर्पोरेट पक्षीय विनाशकारी नीति के बदले वैकल्पिक नीति के रूप में 21 सूत्री मांगों के प्रति अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा जाएगा।
आज कोल्हान के विभिन्न इलाकों में सीटू एवं किसान सभा के सैकड़ों सदस्यों ने 1982 के संघर्ष के शहीदों को श्रद्धांजलि देकर “किसान मजदूर एकता दिवस” मनाया तथा “ चार श्रम संहिताओं को रद्द करना , न्यूनतम वेतन रु. 26000/- प्रति माह ; पुरानी पेंशन योजना लागू करना; ठेका ,अनौपचारिक एवं असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए कानूनी एवं सामाजिक सुरक्षा तथा समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित करना ; सार्वजनिक उद्यमों एवं सरकारी विभागों का निजीकरण बंद करना ; स्वीकृत रिक्त पदों अविलंब नियुक्ति ; रोजगार सृजन; तथा शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम सुनिश्चित करना ; मनरेगा योजना के तहत प्रतिवर्ष 200 दिन काम एवं 600/-प्रति दिन मजदूरी ; बीज, उर्वरक , बिजली पर पर्याप्त सब्सिडी तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करना ; किसानों के लिए ऋण माफी एवं वृद्धावस्था पेंशन सुनिश्चित करना , वन अधिकार अधिनियम सख्ती से लागू करना ; कर और शुल्कों को कम करने सहित प्रभावी कदम उठाकर आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में कमी सुनिश्चित करना जैसे 21 सूत्री मांगों को लेकर मेहनतकश वर्ग की अस्तित्व की रक्षा तथा आस्था के नाम पर मेहनतकशों की एकता में विभाजन की साजिश को रोकने के लिए स्वतंत्र और संयुक्त संघर्ष को तेज करने का संकल्प लिया।
आज साकची जुबली पार्क गेट के सामने केंद्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सदस्यों मांग पोस्टर प्रदर्शित करते हुए धरना दिया गया ,

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