सरना धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान का दो टूक

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जमशेदपुर

31 मार्च 2024 तक निर्णय लें सरकार, या 7 अप्रैल से अनिश्चित कालीन भारत बंद का किया आह्वान

राष्ट्रपति पर किया कटाक्ष, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के निर्णय का किया स्वागत

सरना धर्म कोड बिल को लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान ने एकबार फिर से राष्ट्रपति, केंद्र सरकार और सभी धर्माचार्यों से अपील करते हुए 31 मार्च 2024 तक स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है. साथ ही चेतावनी दिया है कि यदि 31 मार्च 2024 तक सरना धर्म को सरकारी मान्यता नहीं दी जाती है तो 7 अप्रैल से आदिवासी समाज अपने हक और अधिकार के लिए अनिश्चित कालीन भारत बंद कराने सड़कों पर उतरेगी. इसकी जानकारी देते हुए आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने बताया कि देश में अजीब विडंबना है. देश में सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश है, उसके बाद सबसे बड़ी आबादी आबादी आदिवासियों की है. मगर आदिवासियों के धार्मिक आजादी का हनन किया जा रहा है. साजिश के तहत उनका धर्मांतरण कराया जा रहा है. इस मामले पर सभी राजनीतिक दलों के लोग चुप हैं. 1951 के जनगणना में सरना धर्म कोड का प्रयोग किया गया था, मगर कांग्रेस सरकार ने उसे बंद कर दिया. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर कटाक्ष करते हुए कहा कि देश के लिए दुर्भाग्य है कि एक आदिवासी देश की राष्ट्रपति हैं, मगर सरना धर्म कोड को लेकर उनकी कोई संवेदना नहीं आ रही है. वहीं उन्होंने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के सुझाव का समर्थन किया है. श्री मुर्मू ने देश के धर्माचार्यों, सिविल सोसायटी और केंद्र सरकार से आदिवासियों को धार्मिक आजादी कैसे मिले इसपर मंथन करते हुए 31 मार्च तक अपनी स्थिति स्पष्ट करने की अपील की है. साथ ही चेतावनी देते हुए कहा कि यदि कोई निष्कर्ष नहीं निकलता है तो आदिवासी धार्मिक आजादी के लिए आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.

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