जी हां स्थिति इतनी भयावह है कि अस्पताल में चिकित्सकों से लेकर अस्पताल के कर्मचारियों को समय की कोई अहमियत नहीं देखिये इस रिपोर्ट में
अपनी व्यवस्थाओं को लेकर सदर अस्पताल को कई बार बेहतर कार्य के लिए राज्य स्तर से लेकर केंद्र सरकार तक सर्टिफिकेट प्रदान कर चुकी है जब अधिकारी जांच के लिए अस्पताल पहुंचते हैं उनके जांच के दौरान तक व्यवस्थाएं ऐसी होती है कि आप भी सच में पड़ जाएंगे की खास महल स्थित सदर अस्पताल सरकारी अस्पताल है या फिर प्राइवेट अस्पताल, लेकिन सच्चाई यह है कि टीम के जाते ही वापस अस्पताल अपने पुराने रंग-ढंग में लौट जाता है यह हम नहीं कह रहे, यह बात आप उनके जुबान से सुन सकते हैं जो अस्पताल में चिकित्सकों से अपना इलाज कराने आए हैं या फिर चिकित्सकों द्वारा कोई टेस्ट लिखा गया है तो उस टेस्ट को कराने के लिए पहुंचते है
वैसे तो अस्पताल में रक्त संबंधित समस्या हो या शरीर का अन्य कोई जांच हो उसके लिए चिकित्सक खाली पेट जांच के लिए लिखते हैं और अगर सरकारी अस्पताल में जांच के लिए जाना हो तो लोग घर से जल्दी ही निकलते हैं ताकि लंबी लाइन लगकर हुए अपने समय पर सारा काम करा लें, पर सदर अस्पताल में खाली पेट मरीज को लाइन में लेकर घंटो स्वास्थ्य कर्मचारियों का इंतजार करना पड़ता है क्योंकि उन्हें समय से कोई लेना-देना नहीं खास महल स्थित सदस्य अस्पताल में लैब 10:00 की जगह 10:30 बजे खोली जाती है तो आप सोच सकते हैं की स्थिति क्या होगी
अस्पताल के व्यवस्थाओं को लेकर दावा करने वाले पदाधिकारी को इससे कोई सरोकार नहीं है अस्पताल के हेड क्लर्क से जब हमने बात करनी चाहिए तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है दोषियों पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी
अपनी व्यवस्थाओं को लेकर सर्टिफिकेट अर्जित करने वाले अस्पताल कि इस व्यवस्था ने अस्पताल के खोखले दावे की पोल खोल कर रख दिया