इस पानी को लेकर बागबेड़ा वासियों ने कई बार आंदोलन किये है । यहां तक की शुद्ध पानी के लिये न्यायालय का भी चक्कर काट रहे है । लेकिन अबतक लोगों को साफ शुद्ध पानी पीने को नही मिला है । दस साल पहले यह फिल्टर प्लांट पीएचईडी के द्वारा चलायी जाती थी , लेकिन उसके बाद इसे पंचायत के अधिन कर दिया गया है । इस फिल्टर प्लांट की देखरेख मुखिया को करनी है । देखरेख और रख रखाव नही होने के कारण फिल्टर प्लांट झाड़ियों से भरा पड़ा है । फिल्टर प्लांट बंद होने पर पानी में गंदगी भर गयी । इस फिल्टर प्लांट से बागबेड़ा वासियों के बीच 1100 घरों के 20 हजार लोग पानी पीते है । पानी इतनी गंदी है कि लोग कई बार बीमार भी पडे है । लेकिन देखने सुनने वाला कोई नही है । ग्रामीणों के आंदोलन को देखते हुए इस फिल्टर प्लांट को नये तरीके से बनाने के लिये एक करोड़ 88 लाख की लागत से निर्माण कार्य शुरू हुआ है , लेकिन विधायक , स्वास्थ्य मंत्री और सांसद के शिलान्यास के बाद निर्माण कार्य बंद पड़ा है । इससे पहले भी इसी प्लांट को मरम्मत के नाम पर 24 लाख रूपये सरकार की ओर से निकासी की गयी थी , लेकिन ग्रामीण आरोप लगाते है कि उस रूपयों का गमन कर लिया गया । आज भी फिल्टर प्लांट वही पुरानी स्थिति में पड़ी है । गंदा , कीचड़, कीड़े मकौड़े से भरी पड़ी पानी को ही लोगों को पिलाया जाता है । इस पानी को हम जहरीले पानी कह सकते है । – सुबोध झा , पीएन पांडेय – बागबेडा वासी