दिन- दुखियों और साधु- संतों को किया दान, किन्नरों से श्रद्धालुओं ने लिया स्वैच्छिक दानआज कार्तिक पूर्णिमा है. सनातन धर्म में कार्तिक स्नान का विशेष महत्व है. देशभर में नदी घाटों और पवित्र संगम पर अहले सुबह से ही श्रद्धालु कार्तिक स्नान करने जुटे और आस्था की डुबकी लगाकर अपना और अपने परिवार के सुख- शांति और समृद्धि की कामना की. इस दौरान श्रद्धालुओं ने हवन- पूजन के साथ दीन- दुखियों और साधु- संतों को दान कर उनका आशीर्वाद लिया. साथ ही सदियों से किन्नरों से स्वैच्छिक दान लेकर परंपराओं का निर्वहन किया. मान्यता है कि किन्नरों को दान देने के बाद उनसे स्वैच्छिक दान लेने से धन- धान्य की वृध्दि होती है. इधर लौहनगरी जमशेद पुर में भी कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अहले सुबह से ही लोग पवित्र स्वर्णरेखा और खरकई नदी में आस्था की डुबकी लगाकर यज्ञ- हवन और दान- पुण्य में जुटे रहे. नदी किनारे स्नान करने आए लोगों का हुजूम उमर पड़ा. सोनारी के दोमुहानी नदी तट पर भारी संख्या में लोग स्नान करने पहुंचे यहां की खासियत है कि यहां दो नदियों का संगम है और लोग बड़े आस्था के साथ यहां डुबकी लगाते हैं. वैसे कार्तिक पूर्णिमा हिंदुओं के लिए साल का अंतिम पर्व भी माना जाता है. इसके एक पखवाड़े बाद खरमास की शुरुआत होगी जो 14 जनवरी तक चलेगा. इस दौरान कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं होंगे. पुनः मकर स्नान के साथ धार्मिक अनुष्ठान शुरू होंगे