सरायकेला : कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन छठव्रती खरना की पूजा कर 36 घंटे का निर्जला व्रत कर लोगों ने छठ पर्व की शुरुआत की आज छठ महापर्व पर लाखों श्रद्धालु ने अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना की। 36 घंटे का निर्जला व्रत कर कठोर नियमों का पालन करते हुए छठ पर्व में सूर्य को संध्या अर्घ्य देती है। वैसे तो छठ देशभर में मनाया जाता है।
सरायकेला खरसावां जिला के विभिन्न छठ घाटों में जिला प्रशासन की रही कड़ी सुरक्षा देखा गया एन एच 33 पर विभिन्न जगह पर ब्रेकिंग लगाया गया जिसे आने जाने छठ व्रती को बाहनो से सुरक्षा मिले । विशेषकर विहार झारखंड और उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता ।साथ ही पश्चिम बंगाल में भी मनाया जाता हे।
आज भक्तो ने संध्या अर्घ्य यानी कह सकते है कि पहला अर्घ्य की पारंपरिक अनुष्ठान का पालन करते हुए डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।कोल्हान के जमशेदपुर शहर से बड़े पैमाने से छठ व्रती पहुंचते हे। जेसे कांदरबेड़ा, शरहबेड़ा,प्राचीन कालीन जयदा मंदिर सूर्णरेखा नदी घाट में स्वच्छ जल और वातावरण शुद्ध होने के कारण आपने आपने परिवार के साथ छठ करने पहुंचते हे। तिरुलडीह सुवर्णरेखा नदी, टिकर करकरी नदी,चांडिल डेम रोड बामनी नदी , रावताडा,बामनी नदी , रघुनाथपुर बामनी नदी आदि घाट के किनारे प्रसाद सामग्री से भरे सूप और बांस की टोकरियों के साथ भगवान सूर्य और छठ माता को संध्या अर्घ्य दिया गया।प्रत्येक छठ घाट को सजाया गया हे।