
11 अगस्त 1908 ईस्वी में अंग्रेजों के द्वारा शाहिद खुदीराम बोस को मात्र 18 वर्ष 18 महीने और 8 दिन की आयु में फांसी की सजा दी गई, देश के प्रति उनके बलिदान को आज पूरा देश याद कर रहा है पूरे देश में आज उनके 115 वा बलिदान दिवस मनाया जा रहा है इसी क्रम में पूर्वी सिनभूम जिले के बंग समाज के लोगों ने मानगो चौक में शहीद खुदीराम बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके राह पर चलने का प्रण लिया बंग समाज के लोगों ने बताया कि अंग्रेजों से लोहा लेने के दौरान छोटी सी आयु में अंग्रेजों द्वारा इनको फांसी की सजा दे दी गई कितने बहनों के भाई बिछड़ गए, कितने माताओं की कोख उजड़ गई तब जाकर आज आजादी मिली है पर अफसोस है कि आज की पीढ़ी उनके कुर्बानी को भूल चुकी है उन्होंने कहा कि आज उनके बलिदान दिवस पर उनके प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके बताएं मार्ग पर चलने का प्रण लिया गया है