परिवहन मंत्री के गृह जिला और स्वास्थ्य मंत्री के प्रभारी जिला में स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल

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फर्श पर तड़पते मरीज, आराम फरमाते डॉक्टर

सदर अस्पताल से रेफरल अस्पताल में तब्दील हो चुका सरायकेला जिले के सरकारी अस्पताल में मरीजों के साथ क्या हो रहा है अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होने का दंभ भरने वाला सरायकेला का सदर अस्पताल बदहाली और बदइंतजामी का दंश झेल रहा है. यहां के चिकित्सकों की मानवीय संवेदनाएं दम तोड़ चुकी है. हैरान करने वाली बात तो यह है कि राज्य के परिवहन मंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री का प्रभारी जिला है, बावजूद इसके यहां मरीजों के साथ अमानवीय बर्ताव किया जा रहा है. ये जो नजारा आप देख रहे हैं यह सदर अस्पताल में एक्सीडेंट के बाद पहुंचे एक मरीज का है. जिसका इलाज तो दूर उसे बेड तक मयस्सर नहीं कराया गया. जमीन पर मरीज इलाज के लिए तड़पता रहा और डॉक्टर अपने एयर कंडीशन कमरे में आराम फरमाते रहे. करीब 1 घंटे के बाद गम्हरिया के उप प्रमुख कायम हुसैन जब सदर अस्पताल पहुंचे तब चिकित्सकों की निंद्रा टूटी और मरीज का इलाज कर उसे आनन-फानन में रेफर कर दिया गया. है ना हैरान करने वाली बात ! आप ही सोचिए कि 2- 2 मंत्रियों के जिम में जिले की कमान है, और उस जिले का यह हाल है. इससे आप अंदाजा लगा लीजिए कि झारखंड किस ओर जा रहा है, यहां के अधिकारी और नेता क्या कर रहे हैं. हालांकि इस बाबत पूछे जाने पर उपायुक्त अरवा राजकमल ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सिविल सर्जन से ऑन ड्यूटी चिकित्सक को शो कॉज जारी करने और 1 दिन का वेतन काटने  का फरमान जारी किया है. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि उपायुक्त के इस आदेश का कितना पालन होता है. वैसे इस संबंध में उप प्रमुख ने चिकित्सक की शिकायत ऊपर तक करने की बात कही है.

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