धर्म परिवर्तन हमारी कमजोरी और परिवर्तन कराने वालों का अज्ञान है. ये बाते शंकराचार्य सदानंद सरस्वती जी ने कही. गुरुवार देर शाम द्वारका शारदापीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य सदानंद सरस्वती जुगसलाई के शिवा रेसीडेंसी में प्रेस को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन कराने वाले अज्ञानी है और हमारी कमजोरी है. जो शासन में है और जो धनी लोग है वे धनी लोगों को ही धन देते है, गरीबों के बीच जाकर काम नही करते है. जो एनजीओ आदिवासी क्षेत्रों में काम करते है उनके लिए विदेशों से जो सहायता आ रही है उसमे इनकम टैक्स और जीएसटी की छूट दी जा रही है. इसमें सरकार को ध्यान देना चाहिए कि यह राशि सेवा के लिए आ रही है या धर्म परिवर्तन के लिए आ रही है. शास्त्रों के अनुसार धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सकता.
राजनीति से प्रेरित होकर सरना धर्म कोड को मांग
शंकराचार्य ने बताया कि आदिवासी राजनीति से प्रेरित होकर ऐसी मांग कर रहे है. आदिवासी और वनवासी मूल भारतवासी है और हिंदू ही है. उन्होंने यहां आने से पहले आदिवासियों से भी मुलाकात की. वे जहां भी गए वहां आदिवासियों द्वारा मंदिर बनाए गए थे जहां वे लोग पूजा करते है. उन्होंने उनसे भी पूजा कराई. उन्होंने कहा कि गाय में जिसकी भक्ति है, ओमकार जिसका मूल मंत्र है, पुनर्जन्म में जो विश्वास रखता है और मां पिता की पूजा करता है वहीं हिंदू है.