सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण एवं कामगार कंपनी गेट पर जमे है और प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं. कामगारों का नेतृत्व कर रहे सुधीर महतो ने कहा कि कंपनी प्रबंधन कांड्रा क्षेत्र के विकास के लिए असंवेदनशील रवैया अपना रखा है. आज तक इस दिशा में कोई अहम कदम नहीं उठा रही है. कई बार विभिन्न तरह के विकास के कार्य को पूर्ण करने के लिए कंपनी प्रबंधन को आवेदन दिया गया, लेकिन स्थानीय लोगों और कामगारों के आवेदन को कंपनी ठंडे बस्ते में डाल देती है. उन्होंने कहा कंपनी अपने सीएसआर फंड के तहत गम्हरिया व अन्य क्षेत्रों में खर्च करती है, किंतु स्थानीय क्षेत्र का विकास करने का वादा कर चुकी कंपनी हमेशा क्षेत्र के विकास की अनदेखी की है. कुछ दिन पूर्व झारखंड के लोकप्रिय और पारंपरिक करम पूजा को लेकर स्थानीय लोगों ने कार्यक्रम स्थल के जीर्णोद्धार की मांग प्रबंधन से की थी, लेकिन प्रबंधन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. जबकि कांड्रा ग्लास फैक्ट्री बंद होने के बाद ग्रामीणों ने अपनी जमीन इस कंपनी के स्थापना के लिए कौड़ियों के भाव दे दी थी. बदले में कंपनी ने कांड्रा और आसपास के समूचे क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने का वायदा किया था. जिससे आज प्रबंधन मुकर गया है. उन्होंने कहा कि कंपनी की स्थापना से स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी थी कि कंपनी लगने से कांड्रा क्षेत्र का विकास होगा सभी को रोजगार मुहैया कराया जाएगा. लेकिन कंपनी द्वारा कभी भी कांड्रा क्षेत्र का विकास, जमीन दाताओं को नौकरी, पठन- पाठन के लिए स्कूल, चिकित्सा के लिए अस्पताल की सुविधा उपलब्ध कराने का पहल नहीं किया गया. जिसका परिणाम है कि आज कामगारों को मजबूरन कंपनी के गेट पर बैठने को विवश होना पड़ा. इसके अलावा पिछले दिनों दुर्घटना में मृत हुए कामगार मेघनाथ कालिंदी के परिवार को भी अभी तक सेटलमेंट का लाभ नहीं दिया गया. जिससे कंपनी का कामगारों के प्रति उदासीन रवैया स्पष्ट नजर आता है. कंपनी गेट में जमा कामगारों में आक्रोश देखा जा रहा है और उनका कहना है कि जब तक प्रबंधन अपना रवैया स्पष्ट नहीं करता है तब तक कंपनी का गेट जाम रखा जाएगा.