नैतिक मूल्यों के निर्धारण में अध्यात्म की भूमिका अपरिहार्य है। यह बातें घाटशिला महाविद्यालय में आयोजित ‘नैतिक मूल्यों के निर्धारण में अध्यात्म का योगदान’ विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गंगाधर पंडा ने कहीं। उन्होंने कहा कि हमारे साथ चाहे वेद हो या गीता, हमें खानपान, रहन-सहन और आहार व्यवहार आदि की सीख देते हैं। जिसे जानकर और उस पर अमल कर नैतिक समाज की संरचना की जा सकती है। उन्होंने पांच माताओं, विभिन्न प्रकार के गुरुओं, माता-पिता आदि के महत्व को विविध उदाहरणों से संपुष्ट किया। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के और भी व्याख्यानों की आवश्यकता है ताकि युवाओं का विकास नैतिकता के साथ किया जा सके। जिसके बिना सशक्त राष्ट्र का निर्माण नहीं हो सकता है।
व्याख्यान में विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन के प्रो अरुण रंजन मिश्र ने भी संबोधित किया। विषय प्रवेश डा नरेश कुमार ने किया। व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ आर के चौधरी ने स्वागत भाषण किया तथा आए अतिथियों को सम्मानित किया। इस मौके पर प्राचार्य डॉ आर के चौधरी की आठवीं पुस्तक ‘धरती की व्यथा’ का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो इंदल पासवान ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डा एस के सिंह ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय खेल दिवस पर मेजर ध्यानचंद की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। इस मौके पर महाविद्यालय के वैसे सभी खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया जिन्होंने खेल के क्षेत्र में महाविद्यालय,विश्वविद्यालय राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर इस महाविद्यालय का नाम गौरवान्वित किया है। इनमें आर्चरी में माधो रानी मार्डी, एथलीट में मुकेश बानरा, जितराई हेम्ब्रम, प्रसाद मार्डी, जितेन मुर्मू, माधो मार्डी, रिशु भट्टाचार्य, दिपु बहादुर, सालखू मार्डी, सुनिल मुर्मू, सुनिल सोरेन, सुनिल हेम्ब्रम, मंगल टुडू, जितेन हेम्ब्रम, फुटबॉल में दुली टुडू, सरस्वती सबर, जितेन मुर्मू, कबड्डी में विद्या हांसदा, रामेश्वर मार्डी, वालीबाल में अंकित सिंह, पंकज दास, आशिष यादव, टाइकोंडो में सुमन साहु, टिकाराम मार्डी, सिवराय टुडू को मेडल पहनाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ।