अल्पसंख्यक स्कूलों की नियुक्ति नियमावली जल्द बनावे सरकार संवेदनशील हेमंत सरकार जटिलताओं को खत्म करें : मंटू

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जमशेदपुर। झारखंड राज्य के प्राथमिक एवं माध्यमिक अल्पसंख्यक विद्यालयों में शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति की नियमावली जल्द बनाने की मांग उठी है। इसके साथ ही शिक्षक नियुक्ति की अनुमोदन प्रक्रिया को आसान करने तथा नई पेंशन नीति की बजाय पुरानी पेंशन योजना का लाभ अल्पसंख्यक स्कूलों के शिक्षकों को देने के लिए भी राज्य सरकार से कई दिनों से मांग हो रही है। झारखंड राज्य के साथ ही जमशेदपुर में भी कई अल्पसंख्यक एवं अनुदानित विद्यालयों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं और रिक्ति के कारण शिक्षण कार्य बाधित हो रहे हैं।
कोविद-19 के कारण प्रारंभिक एवं मिडिल स्कूल पिछले 2 सालों से बंद हैं जबकि समय-समय पर हाई स्कूलों में पढ़ाई ऑफलाइन भी शुरू की जाती रही है। क्योंकि उच्च विद्यालयों मैं पठन-पाठन का कार्य शुरू हो रहा है ऐसे में शिक्षक की कमी का खामियाजा विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है।
रांची में इसे लेकर मिशनरी स्कूलों की बैठक हुई है और इसमें सरकार को 18 फरवरी तक समस्याओं का निदान करने का आग्रह किया गया है। वही उस बैठक में यह भी फैसला लिया गया है कि अगले सत्र में अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों का प्रबंधन करने वाली कमेटियां लोकतांत्रिक तरीके से धरना प्रदर्शन करेंगे।
झारखंड गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार शैलेंद्र सिंह, साकची गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान सरदार हरविंदर सिंह मंटू एवं मानगो गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार भगवान सिंह भी इस मामले में मिशनरी स्कूलों के प्रबंधन कमेटियों के साथ है। हरविंदर सिंह के अनुसार सिख संस्थाओं द्वारा संचालित प्राथमिक माध्यमिक एवं उच्च विद्यालयों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं और इसका असर पढ़ाई पर पड़ रहा है। हरविंदर सिंह के अनुसार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अल्पसंख्यक स्कूलों के मामले में संवेदनशील रहे हैं और सालों पुरानी समस्याओं का भी निदान उनके कार्यकाल में हुआ है। किंतु कई विभागीय जटिलताओं को सरल और सहज बनाना भी जरूरी है जिस पर राज्य सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। जमशेदपुर में बांग्ला, उर्दू, गुजराती दक्षिण भारतीय तेलुगू-तमिल, ओड़िया मीडियम के भाषाई एवं धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थान संचालित हो रहे हैं और वहां भी कई शिक्षक इकाइयां रिक्त है.

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