
इसके बाद परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया और चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाया जानकारी के अनुसार, मरीज को सांस लेने में गंभीर दिक्कत हो रही थी। परिजन उसे इमरजेंसी विभाग में लेकर पहुंचे, लेकिन वहां वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। रेफर की प्रक्रिया के दौरान ही मरीज की मौत हो गई।मृतक के परिजनों का आरोप है कि इमरजेंसी में भर्ती करने के बाद मरीज को लंबे समय तक बिना उपचार के रखा गया। उनका कहना था कि अगर समय पर इलाज शुरू होता और अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा होती, तो मरीज की जान बच सकती थी।वहीं, इमरजेंसी विभाग के इंचार्ज डॉ. अनूप कुमार ने लापरवाही के आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा कि जैसे ही मरीज इमरजेंसी में आया, तत्काल उपचार शुरू कर दिया गया था। ड्यूटी पर वे स्वयं मौजूद थे और हर संभव प्रयास किया गया।घटना के बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल परिसर में शोरगुल करने लगे। स्थिति बिगड़ने पर सुरक्षा में तैनात होमगार्ड के जवानों ने मोर्चा संभालते हुए परिजनों को शांत कराया।इस घटना ने एक बार फिर एमजीएम अस्पताल की व्यवस्थाओं और सुविधाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मरीजों के लिए वेंटिलेटर की कमी अब भी गंभीर समस्या बनी हुई है।
