
स्पर्म अनोखी परंपरा आपके रोंगटे खड़े कर देंगे शरीर में सुई चुभते ही लोगों को दर्द सहन करना मुश्किल होता है. ऐसे में यदि किसी की पीठ में लोहे की कील फंसा कर उसे रस्सी और बांस के खंभे के सहारे ऊंचाई पर टांग दिया जाए और उसे गोल- गोल घुमाया जाए तो उसकी असहनीय पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन परंपरा के आगे लोग इसे हंसते- खेलते बर्दाश्त कर जाते हैं. यह आदिवासियों की अनूठी परंपरा का हिस्सा है. सरायकेला प्रखंड अंतर्गत गोविंदपुर पंचायत के भुरकुली गांव में प्रतिवर्ष की भांति सोमवार को विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान व छऊ नृत्य के साथ पांच दिवसीय चैत्र पर्व उत्सव का समापन हुआ. भुरकुली में चैत्र सांक्रांति के मौके पर प्रतिवर्ष की भांति शिवमंदिर प्रांगण में शुभ घट, यात्रा घट, गरियाभार घट, कालिका घट, सती घट, अग्निपाट, चड़क पूजा व छऊ नृत्य समेत विभिन्न कार्यक्रम एवं धार्मिक अनुष्ठानों के साथ चैत्र पर्व का आयोजन किया गया जिसका शुभारंभ गुरुवार को घटपाट पूजा के साथ किया गया था. रविवार को पाट भोक्ता के साथ बारह भोक्ता उपवास व्रत, शुभ घट, यात्रा घट, गरिया घट, कालिका घट व सती पाट के साथ छऊ नृत्य का आयोजन किया गया. जिसमें स्थानीय एवं दूरदराज गांवों के काफी संख्या में श्रद्धालु एवं दर्शकों की भीड़ थी. इसे चाहे अंध विश्वास की पराकाष्ठा कहें, या अपने आराध्य देव भोलेनाथ शिवशंकर के प्रति अटूट श्रद्धा इन दोनों ही तथ्यों में सरायकेला के भुरकुली में एक ऐसी परंपरा है जिसमें मन व आत्मा की शांति के लिए शरीर को बेहद कष्ट देने में हठी भक्तों को सुकून मिलता है. सोमवार को मासांत के दिन हर वर्ष शिव भक्त पूर्व में मांगे गये मन्नत पूरी होने की खुशी में अपनी पीठ की चमड़ी में छेद करा कर बल्ली के सहारे आकाश में झूलते हैं और बैल गाडी भी खींच लेते है. भुरकुली के चैत्र पर्व उत्सव में सोमवार को आज ऐसा ही कुछ अजिबो- गरीब नजारा देखने को मिला. अपनी मन्नत पूरी होने की खुशी में शिव भक्तों ने पीठ की चमड़ी में छेद करा कर बैल गाड़ी को खींचा. करीब दो दर्जन भक्तों ने तो ढ़ोल- नगाडों की थाप पर जलते आग के शोलों पर नृत्य किया. कई भक्त बबूल, बेर, बेल के कांटेदार टहनियों को फूलों की सेज समझ कर सोए. कई भक्त लकड़ी के पटरा पर गाड़े गये नुकीले कांटी पर सो कर अपने आराध्य देव से किया हुआ वायदा पूरा किया. चैत्र संक्रांति के दिन शोभा यात्रा, मोड़ा पाट, चलती गाजाडांग, रजनि फुड़ा, जिव्हा वाण व अग्नि पाट का आयोजन किया गया. इस मौके पर सैकड़ों बकरे की बलि चढ़ाई गई. भुरकुली में चैत्र पर्व का मुख्य आकर्षण सोमवार को एक व्यक्ति द्वारा पीठ में लोहे का हुक छेदकर एक साथ पांच बैल गाडियों को खींचना रहा. जिसमें सवारी भी बैठे थे. इस हैरत अंगेज कारनामे को देखने के लिए भुरकुली में हजारों की भीड़ उमड़ी. .