

चना का वितरण किया गया. भीषण गर्मी में इससे राहगीरों को जहां राहत मिली, वहीं गुरवाणी से स्थानीय इलाका भक्तिमय हो गया. स्थानीय लोगों के अलावा सिख परिवार की महिलाओं ने भी सेवा निभाई.सन 1606 ईस्वी में मुगल बादशाह जहांगीर के आदेश पर यशा कानून के तहत गुरु अर्जन देव जी को गरम तवे पर बैठाकर तथा उनके शरीर पर उबलता हुआ पानी तथा गर्म रेत डालकर शहीद कर दिया गया था. उन्होंने ईश्वर की रजा को स्वीकार किया था और शिष्यों को यही संदेश दिया कि अडिग रहकर राष्ट्र धर्म स्वाभिमान की रक्षा करनी है.