
इन्होने कहा की पौराणिक काल मे जब चैतन्य महाप्रभु ने वर्तमान एनएच 33 के रास्ते पूरी तीर्थ कों संपन्न किया था उस वक्त उन्ही के द्वारा इस भूखंड का नाम झारीखंड दिया गया था और अब झारखण्ड राज्य बना, इस कारण से एनएच 33 नाम नामकरण चैतन्य महाप्रभु के नाम पर किया जाना चाहिए, साथ ही कहा की झारखण्ड राज्य मे 42 प्रतिशत आबादी बंगभाषियों की है लेकिन फिर भी बंगला भाषा उपेक्षित है, यहाँ बंगला भाषा के स्कूलों कों बंद कर दिया गया है जिन्हे वापस शुरू किया जाना चाहिए, उन्होंने कहा की झारखण्ड राज्य सरकार के नाम बंगला भाषा के उत्थान हेतु 10 सूत्री मांग पत्र सौंपा गया है, साथ ही मांगे पूरी नहीं होने पर आगे उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.
