सरायकेला: जिले के आदित्यपुर स्थित दिंडली का पौराणिक शिव मंदिर आज भी अपने पौराणिक इतिहास काल को संजोए हुए हैं. 1818 से लगातार यहां प्रतिवर्ष जून के दूसरे सप्ताह के सोमवार और मंगलवार को चड़क पूजा और मेले का आयोजन किया जाता रहा है।
पौराणिक दिंडली शिव मंदिर में विगत 203 सालों से आयोजित हो रहे चड़क पूजा 1818 से लगातार यहां प्रतिवर्ष जून के दूसरे सप्ताह के सोमवार और मंगलवार को चड़क पूजा और मेले का आयोजन किया जाता रहा है।चड़क पूजा से जुड़े कई रोचक गाथाएं यहां आज भी प्रचलित हैं.
महामारी और अकाल दूर करने के लिए शुरू हुई थी पूजा
मान्यता है कि तकरीबन 203 साल पूर्व वर्ष 1818 में दिंडली गांव में भयंकर अकाल और महामारी फैली थी, बिना बारिश हर ओर सुखाड़ पड़ा था. ऐसे में लोगों ने यहां के पौराणिक शिव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की और मन्नतें मांगी थी. एक वीडियो है उसका वीडियो नहीं है पूजा कमेटी के अध्यक्ष लालटू महतो ने बताया कि, उस वक्त कई भक्तों ने अपने शरीर को भी नुकीले कील से छिदवाए और भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था प्रकट की. जिसके बाद से ही यहां प्रतिवर्ष अच्छी बरसात होने लगी और अकाल का नामोनिशान भी मिट गया था। पूजा के सफल आयोजन में मुख्य रूप से रितेन महतो, मीडिया प्रभारी गुरजीत सिंह, कोषाध्यक्ष मनोज मंडल समेत अन्य सक्रिय सदस्यों की भी अहम भूमिका रही.