आज रविवार दोपहर 12 बजे झाारखण्ड भाषा संरक्षण मंच का एक प्रतिनिधिमंडल टाटा वर्कर्स यूनियन के पुर्व अध्यक्ष एवं इंटक के राष्ट्रीय सचिव श्री रघुनाथ पाण्डेय जी से मिलकर, झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की नियुक्ति नियमावली में जो जिलावार क्षेत्रीय तथा जनजातीय भाषा की सूची बनाई गई है उसमें हिंदी भाषा की हो रही उपेक्षा के सम्बन्ध में समर्थन मांगा। झारखंड के सभी जिलों में उर्दू को क्षेत्रीय भाषा की सूचीमें शामिल किया गया है।पुर्वी सिंहभूम जिला समेत झारखंड के सभी जिलों में स्कूलों में पढाई लिखाई का माध्यम हिन्दी है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे आज भी हिन्दी माध्यम के स्कूलों में ही पढ़ते हैं।उर्दू एक वर्ग विशेष की भाषा है समस्त झारखंडीयों की नहीं।जमशेदपुर एवं आसपास के क्षेत्रों में जो लोग वर्षों से बसे हुए,उनके बच्चे आखिर नौकरी करने कहाँ जाएंगे? जिन्होंने हिन्दी अथवा अंग्रेजी में पढाई लिखाई की है।ऐसे में एक ही जगह से आकर जमशेदपुर में बसने वाला उर्दू भाषी तो झारखंड में नौकरी के लायक है और जो लोग भोजपुरी,मगही,मैथिली,अंगिका,अवधी भाषी हैं तथा जिन्होंने पढाई लिखाई हिन्दी अथवा अंग्रेजी में की है वे नौकरी के लायक नहीं हैं। वैसे छात्र एवं युवा अब नौकरी चाकरी के लिए कहाँ जाएंगे??ऐसे सभी परिवार या तो अत्यंत गरीब परिवार से आते हैं या निम्न मध्यम वर्ग परिवार से आते हैं एवं पीढ़ियों से यहाँ रहकर मजदूरी एवं छोटे मोटे व्यवसाय कर अपना जीवनयापन कर रहे हैं,उनके बच्चों का भविष्य क्या होगा?? ज्ञापन सौपने वालों में अभिषेक पाण्डेय,रंजीत झा, दीपकु मिश्रा मुकेश झा,बिकास सिंह,कृष्णकांत पाण्डेय,कौशिक मिश्रा,प्रवीण राय,सुधीर,रीषभ श्रीवास्तव उपस्थित थे।