लोकतंत्र के महापर्व पर कई तरह के दृश्य देखे जा रहे हैं। कहीं किए गए वादा पूरा नहीं होने पर गुस्सा है। कहीं प्रत्याशी के लापता रहने पर रोष।

अब विकास ढूंढने वाले ग्रामीण सवाल लेकर खड़े हैं। और 5 वर्षों का हिसाब ग्रामीण मांग रहे है गिरिडीह संसदीय क्षेत्र में एनडीए गठबन्धन के आजसू प्रत्याशी कि अब किरकिरी होने लगी । कहीं उत्साह से लोग खतियानी आंदोलन से उपजे नेता जयराम के समर्थन में दिख रहे हैं। तो कहीं अन्य प्रत्याशी के खिलाफ गुस्सा दिखा रहे हैं। गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में निर्दलीय प्रत्याशी जयराम कुमार महतो और एनडीए के आजसू प्रत्याशी और निवर्तमान सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के समर्थकों के बीच कभी भी हिंसक वारदात हो सकती है। जानकारी के अनुसार बुधवार को जब गोमिया के विधायक सह आजसू नेता लंबोदर महतो चतरोचट्टी थाना क्षेत्र के हुरलुंग पंचायत नरकंडी गांव में जन सम्पर्क अभियान के दौरान पहुंचे तो वहां जयराम महतो के समर्थकों ने चंद्रप्रकाश चौधरी के विरुद्ध मुर्दाबाद के नारे लगाए। वहीं समर्थकों ने जयराम महतो को मिले चुनाव चिन्ह सिलेंडर को एक युवक ने सर पर उठाकर टाइगर जयराम जिंदाबाद का नारा लगाते रहे। आजसू और भाजपा के कार्यकर्ताओं ने भी जवाबी नारे में नरेंद्र मोदी जिंदाबाद का नारा लगाया। एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी के बीच डॉ लंबोदर महतो कार्यकर्ताओं को शांत करने के अपील करते रहे। मौके पर विधायक के बॉडीगार्ड भी थे। जिन्होंने सुरक्षा के साथ विधायक को आगे ले गए। इसके बाद हुरलुंग दुर्गा मंडप के सामने विद्यार्थियों एवं ग्रामीणों ने बैनर लेकर गोमिया विधायक को रोक दिया। वे पुराने वायदे को याद कराते हुए हाई स्कूल स्थापित करने की मांग की। इस घटना की वीडियो सोशल मीडिया में चल रही है। इसी बात से अनुमान लगाया जा रहा है कि उक्त दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच कभी भी बड़ी घटना हो सकती है। जयराम महतो के समर्थकों का कहना है कि पिछले 5 साल में एक भी दिन सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी इन क्षेत्रों का समस्याओं के संबंध में समाधान के लिए न कोई प्रयास किया न जानने का कोशिश किया। इसलिए उनका विरोध किया जा रहा है। वही इस पूरे मामले के बाद सभी को संयम बरतने की अपील की जा रही है। किसी के प्रति उत्साह और किसी के प्रति गुस्सा कई लोगों पर भारी पड़ रहा है। गिरिडीह संसदीय क्षेत्र के गोमिया प्रखंड का ग्रामीण इलाकों का तेजी से चुनावी माहौल में अपना रंग दिखा रहा है। आप खुद तय कीजिए लोकतंत्र में यह रंग कितना जायज है। इसका आने वाले समय की राजनीति पर कैसा असर पड़ सकता है ।

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