
मुस्लिम समाज के लिए माहे रमजान बरकत और इबादत का महीना माना जाता है जहा सभी मुसलमान रोजा रख कर इबादत करते हैं और अपने और देश की खुशहाली की दुआ करते हैं जहा हर मुसलमान के बच्चों पर 5 साल की उम्र से रोज और नमाज फर्ज हो जाता है इसी के तहत धातकीडीह की रहने वाली 5 साल की दानयाल इमाम अपनी जिंदगी का पहला रोजा रख कर दीन इस्लाम के बताए रास्ते पर चल पड़ी है वही दानयाल इमाम के लिए उसके घर वालों ने लजीज पकवान बनाए थे दानयाल इमाम के पिता शमशेर जावेद का कहना है कि हम लोगों ने शुरू से ही अपने बच्चों को दीनी और दुनियाई तालीम दी है ताकि हमारे बच्चे जिंदगी के दोनों सफर में कामयाबी हासिल कर सके