आज नारायण आईटीआई लुपुंगडीह चांडिल में मोरारजी देसाई की जयंती मनाई गई एवं संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडे जी और संस्थान के सभी अनुदेशक के द्वारा तस्वीर पर श्रद्धा सुमन पुष्प अर्पित किया गया।

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इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडे जी ने कहा कि वह प्रथम प्रधानमंत्री थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बजाय अन्ना दलों से थे वही एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न एवं पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निसान ए पाकिस्तान से सम्मानित किया गया था। पांडे जी ने कहा मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी 1896 को गुजरात के बरेली नामक स्थान पर हुआ था उनका संबंध एक ब्राह्मण परिवार से था। मुरारजी देसाई की शिक्षा दीक्षा मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज में हुए जो उसे समय काफी मांगा और खर्चीली माना जाता था । मुंबई में मोरारजी देसाई निशुल्क आवास गिरी में रहे जो गोकुलदास तेजपाल के नमक से प्रसिद्ध था एक समय में वहां 40 शिक्षार्थी रह सकते थे विद्यार्थियों जीवन में मेरारजी देसाई औसत वृद्धि के विवेकशील छात्र थे इन्हें कॉलेज की बात विवाद टीम का सचिव भी बनाया गया था लेकिन स्वयं महाराज जी ने मुश्किल से ही किसी वाद विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया होगा मुरारजी देसाई ने अपने कॉलेज जीवन में ही महात्मा गांधी बाल गंगाधर तिलक और अन्य कांग्रेसी नेताओं के संग भाषणों को सुना था मोरारजी देसाई ने 1930 में ब्रिटिश सरकार की नौकरी छोड़ दी और स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही बन गए 1931 में हुआ गुजरात प्रदेश के कांग्रेस कमेटी के सचिव बन गए उन्होंने अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की शाखा स्थापित की और सरदार पटेल के निर्देश पर उसके अध्यक्ष बन गए 1932 में मोरारजी को 2 वर्ष की जेल भुगतनी पड़ी मोरारजी 1937 तक गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव रहे।
पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय कांग्रेस में जो अनुशासन था वह उनकी मृत्यु के बाद बिखरने लगा कोई सदस्य स्वयं को पार्टी से बड़ा समझते थे मोरारजी देसाई भी उनमें से एक थे श्री लाल बहादुर शास्त्री ने कांग्रेस पार्टी के वफादार सिपाही की भांति कार्य किया था उन्होंने पार्टी से कभी भी किसी पद की मांग नहीं की थी लेकिन इस मामले में मोरारजी देसाई अपवाद में रहे।नवम्बर 1969 में जब कांग्रेस का विभाजन कांग्रेस-आर और कांग्रेस-ओ के रूप में हुआ तो मोरारजी देसाई इंदिरा गांधी की कांग्रेस-आई के बजाए सिंडीकेट के कांग्रेस-ओ में चले गए। फिर 1975 में वह जनता पार्टी में शामिल हो गए। मार्च 1977 में जब लोकसभा के चुनाव हुए तो जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हो गया। परन्तु यहाँ पर भी प्रधानमंत्री पद के दो अन्य दावेदार उपस्थित थे-चौधरी चरण सिंह और जगजीवन राम। लेकिन जयप्रकाश नारायण जो स्वयं कभी कांग्रेसी हुआ करते थे, उन्होंने किंग मेकर की अपनी स्थिति का लाभ उठाते हुए मोरारजी देसाई का समर्थन किया।इसके बाद 23 मार्च 1977 को 81 वर्ष की अवस्था में मोरारजी देसाई ने भारतीय प्रधानमंत्री का दायित्व ग्रहण किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से मौजूद रहे।
शांतिराम महतो, कृष्ण पद महतो , देव कृष्णा महतो ,पवन कुमार महतो, निमई मंडल ,अजय मंडल, गौरव महतो, सिशुमति दास, मोहन सिंह सरदार, धिरज महतो(गलू), अनिमा महतो,आदि उपस्थित थै

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